[Hindi] राजस्थान का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (9 से 15 अगस्त, 2020), किसानों के लिए फसल सलाह

August 9, 2020 11:54 AM | Skymet Weather Team

आइए जानते हैं 9 से 15 अगस्त के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल। और क्या फसलों से जुड़ी सलाह।

1 जून से 9 अगस्त के बीच पश्चिमी राजस्थान को सामान्य से 13% कम तथा पूर्वी राजस्थान को 28% कम वर्षा मिली है। अभी भी राजस्थान के अधिकांश जिले सूखे की मार झेल रहे हैं।

12 अगस्त तक राजस्थान के पूर्वी जिलों को अच्छी बारिश मिलने की संभावना है। अलवर, भरतपुर, जयपुर, टोंक, करौली, सवाई माधोपुर, बूंदी, कोटा, झालावाड़, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, उदयपुर बांसवाड़ा तथा डूंगरपुर जिला में अच्छी रहने के आसार हैं।

13 से 15 अगस्त के बीच राजस्थान के दक्षिणी पश्चिमी जिलों में भी हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है जैसे कि जैसलमेर जोधपुर बाड़मेर जालौर पाली तथा नागौर। चुरु, बीकानेर, हनुमानगढ़ तथा गंगानगर में बारिश की गतिविधियां काफी कम ही रहेंगी। इन जिलों में केवल छिटपुट वर्षा के ही आसार नजर आ रहे हैं।

राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह

फसलों में सिंचाई और छिड़काव मौसम के अनुसार ही करें। मूंग की फसल में पीला मोजेक विषाणु रोग का प्रकोप बढ़ सकता है। यह रोग रस चूसने वाली सफेद मक्खी से फैलता है। इससे बचाव के लिए सफेद मक्खी का नियंत्रण आवश्यक होता है। बुबाई के 25-30 दिन बाद अथवा मूंग की फसल में पीले पत्ते दिखते ही डाइमिथोएट 30 ई.सी. की एक लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर अनुकूल मौसम में छिड़काव करें। छिड़काव 15-20 दिन बाद दोहराएं।

अमेरिकन/बीटी कपास मे भी सफेद मक्खी का प्रकोप हो सकता है। यदि 8 से 10 मक्खी प्रति पत्ती पर हों तब नीम आधारित निम्बेसिडिन 5 मि.ली. + तरल साबुन 10 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर साफ मौसम में छिड़काव करें। यदि प्रकोप अधिक है तो एसीटामिप्रिड (20 एस पी.) का 0.4 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

मूंगफली की खडी़ फसल मे संन्धि विगलन रोग (कॉलर रोट) के कारण जमीन की सतह से ऊपर तने पर काला चूर्ण बन जाता है और पौधा मुरझाने लगता है। इसके नियंत्रण के लिए प्रोपीकोनाजोल (25 ई.सी.) या हेक्जाकोनाजोल (5 ई.सी.) की  1.5 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी मे घोलकर मुरझाते हुए पौधों की जडो़ं के पास डालें (र्डेंन्चिग करें)। यदि प्रकोप अधिक हो तो उपरोक्त कवकनाशी का 800 मि.ली. प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ दें। बाजरे की फसल मे बुवाई के 3- 4 सप्ताह बाद निराई-गुड़ाई करके खरपतवार निकालें। यदि आवश्यक हो तब 15 दिन बाद एक बार फिर से गुड़ाई करें।

Image Credit: The Financial Express

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