आइए जानते हैं 30 अगस्त से 5 सितंबर के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल।
पिछले 24 घंटों के दौरान राजस्थान के पश्चिमी और दक्षिणी जिलों में अच्छी बारिश देखी गई है। बीकानेर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, बूंदी, कोटा, उदयपुर, जवाई डैम, जोधपुर तथा जैसलमेर में मध्यम से भारी बारिश हुई है। 1 जून से 29 अगस्त के बीच पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 3% अधिक तथा पूर्वी राजस्थान सामान्य से 6% कम वर्षा हुई है।
इस बीच गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश उससे सटे राजस्थान पर पहुँच गया है। इसके प्रभाव से पूर्वी तथा दक्षिणी जिलों में 30 अगस्त को मध्यम से भारी वर्षा होने की संभावना है। 31 अगस्त को पश्चिमी जिलों में वर्षा की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। 1 सितंबर से 5 सितंबर के बीच, राजस्थान के कई जिलों में हल्की वर्षा संभव है। उस दौरान गंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू, झुंझुनू, बीकानेर, जयपुर सहित अनेक जिलों में वर्षा की संभावना है। 6 सितंबर से राजस्थान में मौसम एक बार फिर से शुष्क हो जाएगा।
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
फसलों में इस समय कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है। लेकिन रोकथाम के लिए अगर बारिश के चलते छिड़काव करना संभव न हो तो प्रभावित पौधों निकाल कर अलग करें तथा लाइट ट्रेप आदि का प्रयोग करें। मौसम साफ हो जाने पर उचित कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है।
बीटी कपास व नरमा की फसल मे सफेद मक्खी तथा हरे तेले के नियंत्रण के लिए मौसम साफ होने पर 0.50 ग्राम थायोमिथोग्जाम (25 डब्लू. जी.) या 3 मिली. ईथियान (50 ई.सी.) प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करें। छिड़काव के समय प्रति ढोलकी 5 मि.ली. सेन्डोविट भी मिलाएं।
तिल की फसल में फिल्लोडी रोग के नियंत्रण के लिए थायोमिथोक्जाम 0.25 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से पहला छिड़काव 45 दिन व दूसरा छिड़काव 60 दिन पर करें। ग्वार की पछेती फसल में मक्खी, हरा तेला जैसे रस चूसने वाले कीड़ों के नियंत्रण के लिए थायोमेथोक्जाम (25 डब्लू. जी.) 0.5 ग्राम अथवा एसिटामिप्रिड (20 एस.पी.) 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें तथा 15 दिन के अन्तराल पर दूसरा छिड़काव करें।
बाजरे मे यदि कातरे का प्रकोप हो तो उसके नियंत्रण हेतु क्यूनालफाँस 1.5% चूर्ण 25 किग्रा प्रति हेक्टर की दर से भुरकाव करें। मूंग की फसल में फली-छेदक कीट के प्रकोप के नियंत्रण के लिए क्विनॉलफॉस 25 ई.सी. को 1 लीटर प्रति हेक्टर की दर से छिड़के। तोरिया की बिजाई हेतु सितम्बर माह का पहला पखवाड़ा उपयुक्त समय है। जिन खेतों में तोरिया के बाद गेंहूँ की फसल लेनी हो वहाँ टी.एल-15 किस्म को सितम्बर के पहले सप्ताह में 3 किग्रा प्रति हेक्टर बीज का इस्तेमाल करते हुए बोएँ।
Image credit: Rajasthan Khabre
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