आइए जानते हैं 23 से 29 अगस्त के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल। और क्या फसलों से जुड़ी सलाह।
22 अगस्त की सुबह 8:30 बजे से लेकर 23 अगस्त की सुबह 8:30 बजे के बीच 24 घंटों की अवधि में राजस्थान के दक्षिण पूर्वी जिलों में अच्छी बारिश हुई है। कोटा में 43 मिलीमीटर, चित्तौड़गढ़ 32, जवाई डैम 45, उदयपुर 70, माउंट आबू 55, भीलवाड़ा बूंदी 10 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई। इसके अलावा जयपुर, अजमेर, बाड़मेर तथा जैसलमेर में भी हल्की बारिश देखी गई।
राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी भागों में 23 और 24 अगस्त को भी अच्छी बारिश की गतिविधियां जारी रह सकती है। दक्षिणी जिलों में 25 अगस्त को भी वर्षा होगी। 26 अगस्त को जैसलमेर समेत दक्षिण-पश्चिमी भागों में हल्की से मध्यम वर्षा संभव है।
अनुमान है कि 27 और 28 अगस्त को वर्षा की गतिविधियां राजस्थान के कई भागों में संभव है। उस दौरान पूर्वी जिलों में अपेक्षाकृत वर्षा की गतिविधियां ज्यादा होंगी। उस समय बीकानेर, चूरू तथा झुंझुनू आदि जिलों में भी बारिश हो सकती है। गंगानगर, हनुमानगढ़ जैसे उत्तर पश्चिमी जिलों में हल्की बारिश से होने की संभावना है।
1 जून से 22 अगस्त के बीच पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 3% कम तथा पूर्वी राजस्थान में 13% कम वर्षा प्राप्त हुई है।
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
आने वाले दिनों में वर्षा की संभावना है इसलिए कीटनाशकों व उर्वरकों का छिड़काव मौसम के अनुसार ही करें। नमी और उमस के कारण फसलों में कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है, इसलिए फसलों का नियमित निरक्षण करते रहें। देशी कपास की फसल मे चितकबरी लट का प्रकोप हो सकता है। देशी कपास के लिए यह कीट सर्वाधिक हानिकारक होता है। यह कीट मध्य अक्टूबर तक सक्रिय रहता है।
इसके नियंत्रण हेतु इन्डोक्साकार्ब (14.5 एस.सी.) 1 मिली या डेल्टामेथ्रिन (2.8 ई.सी.) 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर साफ मौसम में छिड़काव करें। बरसात के मौसम में बाजरे की फसल मे पत्तियों की निचली सतह पर सफेद रुई जैसी फफूंद दिखाई देती है। इसके नियंत्रण के लिए फफूंदनाशी जाइनेब 0.2 प्रतिशत 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव, साफ मौसम में करें।
मिर्च की फसल में अधिक बरसात से खेतों में पानी भरने के कारण फूल और मिर्च की छोटी फलियाँ गिरने लगती हैं। इससे बचाव के लिए सबसे पहले पानी निकालने की व्यवस्था करें। उसके बाद 1 लीटर माइक्रोन्यूट्रिएंट/ मल्टीप्लैक्स और 100 मिली. प्लेनोफिक्स 400 लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करें।
मूंग की फसल में जीवाणु चित्ती रोग के कारण छोटे छोटे गहरे भूरे रंग के धब्बे पत्तियों, फलियों तथा तने पर दिखाई देते हैं। इसके नियंत्रण के लिए 20 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन तथा 1.2 कि.ग्रा. कॉपर औक्सीक्लोराइड 400 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
मूंग, ग्वार, तिल आदि फसलों की अच्छी पैदावार के लिए निराई-गुड़ाई करें इससे खरपतवार नष्ट होते हैं, नमी का संरक्षण होता है और वर्षा के अभाव में काफी लाभदायक होता है।
Image Credit: DNA India
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।