आइए जानते हैं 16 से 22 अगस्त के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल। और क्या फसलों से जुड़ी सलाह।
पिछले दो दिनों के दौरान राजस्थान के पश्चिमी जिलों में अच्छी बारिश हुई है, जिसके परिणाम स्वरूप पश्चिमी राजस्थान में जारी बारिश में कमी की कुछ हद तक भरपाई हुई है। अब पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 8% कम रह गई है बारिश। पूर्वी राजस्थान में सामान्य से 18% कम वर्षा हुई है।
इस सप्ताह पूर्वी तथा उत्तर-पूर्वी राजस्थान में 18 अगस्त तक रुक-रुक कर हल्की से मध्यम बारिश होती रहेगी। जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, हनुमानगढ़, गंगानगर तथा जालौर सहित पश्चिमी राजस्थान में भी कुछ इलाकों में वर्षा की गतिविधियां जारी रह सकती हैं।
20 अगस्त से दक्षिण-पूर्वी जिलों में मॉनसून वर्षा बढ़ने की उम्मीद है। हमारा अनुमान है कि 20 से 22 अगस्त के बीच मध्यम वर्षा के साथ कुछ इलाकों में भारी वर्षा होने की संभावना है। उस दौरान झालावाड़, भीलवाड़ा, बूंदी, उदयपुर, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, कोटा, टोंक, झालावाड़ में अधिक बारिश होगी जबकि जयपुर, अजमेर, सवाई माधोपुर, धौलपुर, अलवर, झुञ्झुणु में हल्की से मध्यम वर्षा के आसार हैं।
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
बरसात के मौसम में समय से बोई गई ग्वार की फसल में पत्तियों पर काले धब्बे बन जाते हैं। बाद में यह पत्तियां झुलस जाती हैं। इसकी रोकथाम के लिए मौसम अनुकूल होने पर 5 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लिन और 200 ग्राम मेन्कोजेब 100 लीटर पानी मे घोल कर छिड़काव करें।
वर्तमान के मौसम मे बीटी नरमे में फूल गुड्डियां पीली पड़कर गिरने लगती हैं, इसकी रोकथाम के लिए 2 कि.ग्रा. पोटेशियम नाइट्रेट 125 लीटर पानी मे घोलें व उसमें 30 मि.ली. प्लानोफिक्स मिलाकर छिड़काव करें। 10-15 दिन बाद छिड़काव दोहराएँ।
अधिक वर्षा होने से मिर्च की फसल में फूल और छोटी फलियाँ गिर जाती हैं। इससे बचाव के लिए सबसे पहले खेत मे रुके हुए पानी को निकालने की व्यवस्था करें। फिर साफ मौसम में 1 लीटर माइक्रोन्यूट्रिएंट/ मल्टीप्लैक्स और 100 मि.ली. प्लेनोफिक्स को 400 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
कपास व नरमे में मीली-बग का प्रकोप हो सकता है। यह कीट तने व पत्तियों पर चिपका रुई जैसा दिखता है। इसकी रोकथाम के लिए प्रोफैनोफॉस 50 ई.सी. 1.5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।
ग्वार में हरा तेला व सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए डाइमिथोएट 30 ईसी. 1 लीटर प्रति हेक्टर की दर से पानी में घोलकर छिड़काव करें। टिन्डा, लौकी, तोरई, करेला आदि में फल मक्खी के नियंत्रण हेतु डाइमिथोएट 30 ईसी. या मेलाथियान 50 ईसी 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
Image credit: DNA India
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