आइए जानते हैं 2 से 8 अगस्त के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल। और क्या फसलों से जुड़ी सलाह।
जुलाई का महीना राजस्थान के लिए वर्षा के लिहाज से अच्छा नहीं गुजरा है। 1 जून से 1 अगस्त के बीच पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 11% कम वर्षा हुई है जबकि पूर्वी राजस्थान में सामान्य से 33% कम वर्षा दर्ज की गई है।
इस बीच 1 अगस्त को जयपुर, अजमेर जोधपुर तथा माउंट आबू समेत पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में मध्यम से भारी वर्षा मिली है। भीलवाड़ा, बाड़मेर, बूंदी तथा कोटा में भी हल्की वर्षा हुई है।
इस सप्ताह राजस्थान के दक्षिणी तथा दक्षिण-पूर्वी भागों में अच्छी वर्षा होने की संभावना है। 2 से 4 अगस्त के बीच हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। 5 अगस्त से बारिश बढ़ने की संभावना है। अनुमान है कि 5 से 8 अगस्त के बीच पूर्वी जिलों के साथ-साथ दक्षिणी तथा पश्चिमी जिलों में भी मॉनसून वर्षा होगी।
कोटा, बूंदी, भीलवाड़ा, झालावाड़, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, सवाई माधोपुर, अजमेर, धौलपुर, भरतपुर सहित जोधपुर तथा बाड़मेर में भी बारिश होने की संभावना है। 7 और 8 अगस्त के आसपास बीकानेर, चूरू, गंगानगर, झुंझुनू और हनुमानगढ़ में भी हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है।
अगस्त का पहला सप्ताह राजस्थान के लिए वर्षा के लिहाज से अच्छा गुजरने की संभावना है।
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
जिन भागों में वर्षा की संभावना है वहाँ छिड़काव आदि रोक दें। सिंचित क्षेत्रों में बाजरे की फसल में दीमक व सफेद लट के नियंत्रण के लिए क्लोरोपाईरीफॉस 20 ई.सी 4 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के साथ दें। ग्वार की फसल में हरा तेला, सफेद मक्खी, चैंपा (एफिड) जैसे रस चूसक कीटों से बचाव के लिए डाईमिथोएट 30 ई.सी. या मिथाइल डिमेटोन 25 ई.सी. एक लीटर 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें।
मिर्च, बैंगन, भिन्डी, लोकी, तरोई जैसी सब्जियों में रस चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए नीम आधारित कीटनाशी (0.03%) 2 लीटर अथवा मिथाइल डिमेटोन (25 ई.सी.) 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। फल छेदक अथवा सुन्डी जैसे कीटों के नियंत्रण के लिए मेलाथियान (50 ई.सी.) 1.5 लीटर 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
ग्वार की फसल में प्रारम्भिक अवस्था में खरपतवारों से भारी नुकसान होती है। खरपतवारों से फसल की वृद्धि रुक जाती है और मिट्टी में नमी का भी नुकसान होता है। इनकी रोकथाम के लिए निराई गुड़ाई करें या इमेजाथाइपर 10 एस.एल. खरपतवारनाशी 15 मिली 15 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर बिजाई के 30-35 दिन बाद साफ मौसम में छिड़काव करें।
Image credit: Rajasthan Patrika
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