इस सप्ताह यानी 5 से 11 अप्रैल के बीच राजस्थान के कुछ इलाकों में गरज के साथ हल्की प्री-मॉनसून वर्षा हो सकती है। जबकि ज्यादातर हिस्सों में मौसम साफ रहेगा, तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। 5 और 6 अप्रैल को उत्तर पश्चिमी राजस्थान के कुछ हिस्सों में धूल भरी आंधी चलने या गरज के साथ बूंदाबांदी होने की संभावना है।
7 अप्रैल को बारिश की गतिविधियां बढ़ सकती हैं और कई इलाकों में खासतौर पर गंगानगर, चूरू, अलवर, जयपुर, भरतपुर, झुंझुनू, जोधपुर जैसे कई शहरों में गरज के साथ वर्षा होने की संभावना है। जबकि कोटा, सवाई माधोपुर, जैसलमेर, बाड़मेर में मौसम साफ ही बना रहेगा।
उदयपुर में भी शुष्क मौसम की संभावना है। 8 अप्रैल को पूरे राज्य में मौसम शुष्क होगा। लेकिन 9 अप्रैल को प्री मॉनसून गतिविधियों की उत्तर पश्चिमी हिस्सों में वापसी हो सकती है। इन भागों में हल्की वर्षा हो सकती है। जबकि 10 और 11 अप्रैल को समूचे राज्य में मौसम शुष्क बना रहेगा।
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
इस समय जो मौसम है, उसमें फसलों में कीटों व रोगो का प्रकोप बढ़ने की आशंका रहती है।
भिन्डी की निगरानी- नई फसल में हरा तेला, मोयला और सफेद मक्खी के प्रकोप के बढ़ने की सम्भावना है। इसके नियंत्रण के लिए मेलाथियान (50 ई.सी.) एक मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें। पत्तियों की निचली सतह पर छिड़काव अवश्य करें। आवश्यकता अनुसार 15 दिन बाद पुनः छिड़काव दोहराएँ।
किन्नू की देखभाल- बसन्त ऋतु में किन्नू के बागों में नई पत्तियों तथा कोमल भागों पर सिटॢससिल्ला कीट का प्रकोप होता है। ये पत्तियों का रस चूसते हैं। वर्षा होने पर तो इसका प्रकोप और बढ़ जाता है। नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटोफॉस (36 एस.एल.) एक मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर साफ मौसम में छिड़काव करें।
सरसों की कटाई- कोरोना-वायरस की महामारी को देखते हुए, जहां तक संभव हो कटाई मशीन से करें। यदि यह सम्भव ना हो तो खेत श्रमिक आपस में उचित दूरी बनाए रखें। स्वच्छता के नियमों का पालन करें।
कटाई के तुरंत बाद कटे हुए पौधों का ढेर न लगाएं क्योंकि अभी भी बरसात की सम्भावना बनी हुई है। कटी हुई फसल को खेत में फैलाकर व सुखाकर मड़ाई (र्थैसिंग) के समय ही इकठ्ठा करें।
Image credit: National Herald
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