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[Hindi] राजस्थान का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (26 अप्रैल से 2 मई, 2020), किसानों के लिए फसल सलाह

April 26, 2020 11:54 AM |

आइए जानते हैं 26 अप्रैल से 2 मई के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल।

अनुमान है कि 26 से 30 अप्रैल के बीच समूचे राजस्थान पर हवाओं में नमी बनी रहेगी। इसके चलते आंशिक बादल राज्य के कई जिलों में इस दौरान आते जाते रहेंगे।

26 अप्रैल को जयपुर, अलवर, चुरू, कोटा, जोधपुर, उदयपुर समेत लगभग सभी भागों में आँधी के साथ हल्की वर्षा के आसार हैं। उसके बाद बारिश में कमी आ जाएगी। 27 अप्रैल को कोटा, सवाई माधोपुर, भारतपुर, अलवर समेत पूर्वी भागों में हल्की बारिश हो सकती है।

28 और 29 को मुख्यतः मौसम शुष्क रहेगा। हालांकि हल्की बारिश छिटपुट जगहों पर हो सकती है। जबकि 30 अप्रैल को फिर से बारिश की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। और राज्य के कई जिलों में हल्की से मध्यम बौछारें गिर सकती हैं।

उसके बाद 1 और 2 मई को मौसम पूरे राज्य में सूखा रहेगा और तापमान बढ़ेगा। हालांकि 3 मई को फिर से एक पश्चिमी विक्षोभ आएगा जिसके चलते पश्चिमी राजस्थान में बारिश शुरू हो सकती है।

राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह

जिन इलाकों में वर्षा की संभावना है, वहाँ कटाई और मड़ाई आदि की क्रियाओं को शीघ्र सम्पन्न करें और फसलों, उत्पादों तथा अनाज को सुरक्षित स्थानों पर संग्रहित करें।

कोविड-19 (कोरोना वाइरस) के संक्रमण से बचने के लिए कृषक बंधु कृषि-गतिविधियों के दौरान सरकार द्वारा दिये गए निर्देशों का पालन करें, व्यक्तिगत स्वच्छता व सामाजिक दूरी बनाए रखें। खेत, मंडी या बाज़ार जाते समय मुँह व नाक को मास्क, रुमाल या गमछे आदि से भली प्रकार ढकें।

फसल को मंडी ले जाते समय इस बात का विशेष ध्यान दें की उत्पादों को अनुकूलतम नमी रह जाने तक सूखा लिया गया हो, ताकि उसे मंडी-परिसर में न रखना पड़े, सीधे गोदाम में पहुंचाया जा सके।

हरे चारे के लिए उगाई गई ज्वार मे प्रूसिक अम्ल नामक विषैला पदार्थ पाया जाता है, छोटी अवस्था में इसकी मात्रा अधिक होती है। अतः छोटी अवस्था में इसे पशुओं को ना खिलायें। गर्मी के मौसम में सूखे से प्रभावित पशुओं को ज्वार बिल्कुल न खिलायें।

बहुकटाई वाली किस्मों की पहली कटाई, बुवाई के 60-70 दिन बाद करें। जिन खेतों में अमरीकी कपास या बीटी कपास की बुआई करनी हो, वहाँ खेत को मिट्टी पलटने वाले हल का प्रयोग कर गहरी जुताई कर छोड़ दें, इससे कीट (विशेषकर गुलाबी लट, मिली बग) एवं व्याधियों (विशेषकर जड़गलन) का प्रकोप कम होता है। साथ ही भूमि की जल शोष्ण क्षमता बढ़ जाती है जो फसल की अच्छी बढ़वार में सहायक होती है।

पछेती बोई गई गेहूं की फसल यदि अभी दूधिया अवस्था (बाली हरी हो और दानों मे पर्याप्त नमी हो) में हो तब हल्की सिंचाई अवश्य कर दें अन्यथा गेहूं की पैदावार मे भारी हानि हो सकती।

Image credit: National Herald

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