पंजाब में 22 से 28 सितंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल। और क्या है पंजाब के लिए फसलों से जुड़ी सलाह।
पिछले दो हफ्तों से पंजाब में बारिश की गतिविधियां नहीं हुई हैं तथा मौसम शुष्क और गर्म बना हुआ है। 1 जून से 21 सितंबर के बीच पंजाब में सामान्य से 12% कम वर्षा प्राप्त हुई है। अगर हम समूचे उत्तर भारत की बात करें तो सामान्य से 16% कम वर्षा हुई है।
इस सप्ताह में भी पंजाब का मौसम पूरी तरह शुष्क रहने की संभावना है। हालांकि आज यानि 22 सितंबर को पंजाब के पूर्वी तथा उत्तरी जिलों में कहीं-कहीं हल्की वर्षा संभव है। परंतु इस वर्षा का प्रभाव अधिक नहीं रहेगा तथा मौसम गर्म ही बना रहेगा। 24 या 25 सितंबर से पंजाब में पश्चिमी दिशा से हवाएं चलना शुरू हो जाएंगी जिससे उमस से राहत मिलेगी परंतु गर्मी से राहत के लिए अभी कुछ और इंतजार करना पड़ेगा।
30 सितंबर को मॉनसून का आधिकारिक रूप से समापन हो जाता है। और जैसे हालात सितंबर के बाकी बचे दिनों में नज़र आ रहे हैं उससे लगता है कि साल 2020 का मॉनसून पंजाब को सामान्य से कम वर्षा के साथ ही विदा हो जाएगा। कई जिले सूखे से प्रभावित बने रहेंगे।
पंजाब के किसानों के लिए फसल सलाह
किसानों को सलाह है कि कटी हुई फसलों को सुरक्षित स्थानों पर रखें। वर्तमान के मौसम में धान में कर्नेल स्मट और शीथ-रॉट का प्रकोप हो सकता है। कर्नेल स्मट का प्रकोप होने पर काले बीजाणु दानों को आधे या पूरे तरीके से घेर लेते हैं, जिससे गुणवत्ता व उपज दोनों पर प्रभाव पड़ता है, इसकी रोकथाम के लिए 200 मि.ली. टिल्ट 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ बूट की अवस्था में छिड़कें। छिड़काव 10 दिन बाद दोहराएँ।
शीथ-रॉट का प्रकोप होने भूरे हरे धब्बे बन जाते हैं, पुष्पक बदरंग हो जाते है व मर जाते है, इसकी रोकथाम हेतु 200 बाविस्टीन 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़कें।
मक्के की चारे वाली क़िस्मों की बिजाई के लिए अभी समय उपयुक्त है। इसकी उन्नत किस्म जे-1006 का चयन कर सकते हैं। इस किस्म में मेडिस लीफ ब्लाइट व ब्राउन स्ट्रिप डाउनी मिलड्यू जैसी बीमारियाँ होने की संभावना कम होती है। यदि ये किस्म उपलब्ध न हो तो प्रभात, केसरी या मेघा में किसी एक का चुनाव कर 30 कि.ग्रा. बीज प्रति एकड़ प्रयोग कर बिजाई करें।
खर-पतवारों के नियंत्रण हेतु 800 ग्राम एट्राटाफ 50 डबल्यू.पी. प्रति एकड़ मध्यम से भारी मिट्टी में छिड़कें। उत्तम बीजों का चुनाव कर गाजर, पालक, मूली, शलजम, ब्रोक्ली और सरसों की बिजाई भी शुरू की जा सकती है।
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