आइए जानते हैं पंजाब में 15 से 21 सितंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल। और क्या है पंजाब के लिए फसलों से जुड़ी सलाह।
पंजाब में इस साल मॉनसून का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। 1 जून से 14 सितंबर के बीच पंजाब में सामान्य से 10 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। अब इसमें सुधार की कोई गुंजाइश भी नहीं है।
जून-जुलाई और अगस्त में तो मॉनसून कमजोर रहा ही लेकिन सितंबर में मॉनसून की कुछ ज़्यादा ही बेरुखी देखने को मिल रही है, क्योंकि सितंबर का पहला पखवाड़ा बीत गया और पंजाब के ज़्यादातर जिलों में सभी दिन मौसम मुख्यतः शुष्क रहा।
मॉनसून अब विदाई की ओर है और पंजाब में गर्म तथा शुष्क हवाएं उत्तर पश्चिम हवाएँ चलने लगी हैं। हालांकि पंजाब से अभी मॉनसून विदा नहीं हो रहा है लेकिन यह राज्य को बारिश भी नहीं देने जा रहा है। इस सप्ताह समूचे राज्य पर मुख्यतः शुष्क मौसम की संभावना के बीच 18 सितंबर के आसपास पंजाब में एक-दो स्थानों पर छिटपुट वर्षा हो सकती है।
कुल मिलकर संकेत यही हैं कि जिस तरह से सितंबर का पहला पखवाड़ा सूखा ही बीत गया, उसी तरह दूसरा पखवाड़ा भी निराश ही करेगा।
पंजाब के किसानों के लिए फसल सलाह
किसानों को सलाह है कि फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई व छिड़काव करें। बासमती धान की फसल के अंतिम 35-45 दिनों में रसायनों के छिड़काव से बचें। इससे दानों में गहरे भूरे व काले रंग के धब्बे बन जाते हैं। धान व बासमती धान की फसल में मिट्टी को नम करने के लिए ही सिंचाई दें, ताकि ज़्यादा उपज प्राप्त हो सके।
अत्यधिक उमस व बढ़ते तापमान के कारण धान में फाल्स स्मट रोग होने की आशंका बढ़ गई है। इससे बालियों में विशिष्ट दाने पीले रंग के मखमली बॉल में बदल जाती हैं। इससे बचाव के लिए कोसाइड 46 डी.एफ़. 500 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ बूट की अवस्था में छिड़कें। इसके 10 दिन बाद टिल्ट 25 ई.सी. 200 मि.ली. का 200 लीटर पानी की दर छिड़काव करें।
धान में कर्नेल स्मट और शीथ-रॉट रोग भी फैल रहा है। कर्नेल स्मट का प्रकोप होने पर काले बीजाणु दानों को आधे या पूरे तरीके से घेर लेते हैं, जिससे गुणवत्ता और उपज दोनों पर प्रभाव पड़ता है। इसकी रोकथाम के लिए 200 मि.ली. टिल्ट 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ बूट की अवस्था में छिड़कें। छिड़काव 10 दिन बाद दोहराएँ।
शीथ-रॉट का प्रकोप होने भूरे हरे धब्बे बन जाते हैं, पुष्पक बदरंग हो जाते है व मर जाते है, इसकी रोकथाम हेतु 200 मिली बाविस्टीन 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़कें।
इस समय गन्ने के खेतो में कीट व रोगों का प्रकोप हो सकता है, इसलिए फसल की नियमित निगरानी करते रहें। गन्ने की फसल में सफ़ेद मक्खी की रोकथाम हेतु कोन्फ़िडोर 200 एस.एल. 40 मि.ली. प्रति 150 लीटर की दर से घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। गन्ने की फसल में ब्लैक बग की रोकथाम हेतु डर्सबान/लीथल 20 ई.सी. को 350 मि.ली. प्रति 400 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ पत्तियों पर छिड़कें।
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