पंजाब में 10 से 16 नवंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल। और क्या है पंजाब के लिए फसलों से जुड़ी सलाह।
पंजाब में 1 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच एक बार भी वर्षा की गतिविधियां नहीं देखी गई हैं। इस साल उत्तर भारत में अब तक कोई भी सशक्त पश्चिमी विक्षोभ नहीं आया है। इसी कारण जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड तथा लद्दाख में बारिश और भारी बर्फबारी नहीं देखी गई है। पहाड़ों पर जब तक बर्फबारी और बारिश नहीं होती है तब तक पंजाब में कड़ाके की सर्दी शुरू नहीं होती है। साथ ही पंजाब में भी बारिश इसीलिए नहीं हुई है क्योंकि सक्रिय डबल्यूडी नहीं आए हैं। हालांकि अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान सामान्य के आसपास बने हुए हैं कुछ स्थानों पर न्यूनतम तापमान सामान्य से कुछ कम भी दर्ज किए गए हैं।
12 नवंबर के आसपास एक नया पश्चिमी विक्षोभ जम्मू-कश्मीर को प्रभावित करेगा। जिसके प्रभाव से उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बन सकता है। यह सिस्टम पंजाब के कुछ इलाकों में 15 और 16 नवंबर को छिटपुट बारिश दे सकता है। उस दौरान भी मध्यम या भारी बारिश की संभावना काफी कम है।
अगर यह सिस्टम प्रभावी हुआ तो पंजाब में इस सर्दी की पहली बारिश का कारण बनेगा।
पंजाब के किसानों के लिए फसल सलाह
इस सप्ताह अधिकांश भागों में मुख्यतः शुष्क मौसम के बीच 15-16 नवंबर को हल्की वर्षा के अनुमान को देखते हुए किसानों को सलाह है कि पक चुकी फसलों की कटाई-मड़ाई का कम जल्द निपटाएं अन्य बारिश से नुकसान हो सकता है।
मौसम अनुकूल होने पर किसान गेहूँ की बिजाई जारी रह सकते हैं। गेहूँ की उत्तम किस्मों पी.बी.डबल्यू-343, पी.बी.डबल्यू-1 ज़ेड.एन, पी.बी.डबल्यू-725, एच.डी-2967 व एच.डी-3086 का प्रयोग करें। मध्य नवम्बर के बाद गेहूं की बिजाई के लिए उन्नत पी.बी.डब्लू-550 के अलावा किसी भी प्रमाणित किस्म का प्रयोग कर सकते हैं। खरपतवार की रोकथाम हेतु 1.5 लीटर स्टोम्प प्रति एकड़ की दर से छिड़कें। बिजाई के लिए हैप्पी सीडर का प्रयोग करें।
प्याज़ की नर्सरी लगाने के लिए अभी समय उपयुक्त है, बीजो का चुनाव पीओएच-1, पीआरओ-7, पंजाब नरोया, पी.वाई.ओ-1 आदि किस्मों में से किया जा सकता है। इस मौसम में बेर में फल झड़ने की समस्या हो सकती है, इसके नियंत्रण हेतु एन.ए.ए. का छिड़काव 15 ग्राम प्रति 500 लीटर पानी की दर से करें। फलों के पौधों के साथ अभी इंटरक्रॉप लगाने के लिए समय उपयुक्त है, गेहूं, सेंजी, मटर व उरद आदि फसलें इंटरक्रॉप के तौर पर लगाई जा सकती हैं। इंटरक्रॉप व मुख्य फसलों में सिंचाई अलग अलग दें।
आलू की फसल हेतु खेत में 20 टन फार्मयार्ड खाद तथा 75 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 25 कि.ग्रा. फास्फोरस व 25 कि.ग्रा. पोटाश प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें। फास्फोरस व पोटाश को पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा बिजाई के समय तथा बची हुई नाइट्रोजन मिट्टी चढ़ाते समय दें।
Image Credit: The Tribune India
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