आइए जानते हैं पंजाब में 16 से 22 जून के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल। और क्या है पंजाब के लिए फसलों से जुड़ी सलाह।
पंजाब में मौसम काफी गर्म बना हुआ है। पूर्वी दिशा से आ रही हवाओं के चलते उमस भी काफी अधिक हो गई है। पंजाब के अधिकांश हिस्सों में 19 जून तक मौसम में कोई विशेष बदलाव देखने को नहीं मिलेगा। गर्मी और उमस पूरे राज्य में बनी रहेगी।
अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान सामान्य से 2-4 डिग्री अधिक बने रहने की संभावना है। पंजाब में एक-दो स्थानों पर लू जैसी स्थितियां भी संभावित हैं। 19 जून के पहले छिटपुट धूल भरी आँधी और गर्जना के साथ छिटपुट बूँदाबाँदी के अधिक की अपेक्षा नहीं होगी।
पंजाब में 20 जून से मौसम में बदलाव हो सकता है तथा कुछ स्थानों पर हल्की जबकि 1-2 स्थानों पर मध्यम बारिश शुरू हो सकती है, जो मॉनसून के आगमन तक जारी रह सकती है। 20 जून के बाद भी बारिश बहुत अधिक नहीं होगी लेकिन गर्मी से कुछ राहत मिलने की संभावना है।
पंजाब के किसानों के लिए फसल सलाह
संभावित शुष्क मौसम के बीच किसानों को सुझाव है कि धान की रोपाई का काम शुरू करें। पौधों के अच्छे विकास और मिट्टी की बेहतर जल धारण क्षमता के लिए रोपाई करने से पहले खेत की मिट्टी को एक समान कर समतल कर लें खेतों की मेड़ों को मजबूत करें। लंबी किस्मों की रोपाई 20 x 15 से.मी. तथा बौनी किस्मों व पछेती दशा में लंबी बढ़ने वाली किस्मों की रोपाई 15 x 15 से.मी. की दूरी बनाते हुए 2-3 से.मी. गहरी करें।
परिस्थिति विशेष में धान की सीधी बुवाई भी शुरू कर सकते हैं।
सब्जियों की फसलों में सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई देते रहें ताकि उचित नमी बनी रहे। फल के पौधो में सप्ताह में दो बार सिंचाई दें। लीची, नींबू, नाशपाती, आम के पौधों में इस समय फल निकलने की अवस्था है, इसलिए पौधो में पर्याप्त नमी बनाए रखें अन्यथा उपज में कमी आ सकती है।
अमरूद के भरपूर फल लेने के लिए पौधों में फार्म यार्ड खाद डालें। पौधों के तनों पर सफेदी लगाएँ ताकि सीधी सूरज की किरणों से होने वाली क्षति से बच सके।
गर्मियों में उगाई जाने वाली फसलों में आर्द्रता बढ़ने के कारण हरा तेला, सफ़ेद मक्खी और छोटी-छोटी सूंड़िओं का प्रकोप हो सकता है, इसकी रोकथाम के लिए 400 मि.ली. मेलाथियान 50 ई.सी. या 250 मि.ली. डाईमेथोएट 30 ईसी को 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।
गन्ने की फसल में भी दीमक का प्रकोप इस समय पाया जा सकता है, इसकी रोकथाम के लिए (बुवाई के 45 दिन बाद) 400 मिली इमिडाक्लोप्रिड को प्रति एकड़ पंक्तियों के आस पास छिड़कें।
Image Credit: Ground Reality
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