पंजाब में 08 से 14 दिसम्बर के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल। और क्या है पंजाब के लिए फसलों से जुड़ी सलाह।
पंजाब में नवंबर के आखिर में 24-25 तारीख को कुछ भागों में हल्की से मध्यम वर्षा हुई थी। उसके बाद से पूरे पंजाब का मौसम पूरी तरह से शुष्क बना हुआ है। इस समय पंजाब के अधिकांश जिलों में न्यूनतम तापमान सामान्य से 4-6 डिग्री ऊपर बने हुए हैं। अधिकतम तापमान भी सामान्य से कुछ अधिक है। न्यूनतम तापमान में वृद्धि का कारण एक के बाद एक आने वाले पश्चिमी विक्षोभ हैं। जिनके प्रभाव से उत्तर पश्चिम दिशा चलने वाली ठंडी और शुष्क हवाएँ नहीं चल रही हैं और पूर्वी तथा दक्षिण-पूर्वी आर्द्र और गर्म हवाओं का प्रभाव है।
इस सप्ताह पंजाब में बारिश होने की संभावना है। हालांकि बारिश के दिन और बारिश दायरा तथा बारिश की तीव्रता सीमित होंगे। यानि ज़्यादातर समय और ज़्यादातर क्षेत्रों में मौसम साफ व शुष्क बना रहेगा। बारिश की उम्मीद 11 और 12 दिसंबर को है। इन दो दिनों के दौरान पंजाब के कई जिलों में हल्की तथा कुछ भागों में मध्यम वर्षा होने की संभावना है। जिन जिलों में बारिश की संभावना अधिक है, उनमें जालंधर, पठानकोट, तरण तारण, लुधियाना, पटियाला, शहीद भगत सिंह नगर, होशियारपुर, रूपनगर, कपूरथला, नवाशहर, फ़िरोज़पुर, मोगा, फतेहगढ़ साहिब, बरनाला, संगरूर और आसपास के ज़िले शामिल हैं।
जिस समय बारिश होगों उस दौरान दिन के तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी। 13 दिसंबर से एक बार फिर से न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी जिससे सुबह और रात की सर्दी में वृद्धि होने की संभावना है। इस सप्ताह पंजाब के कुछ इलाकों में कोहरा भी देखने को मिलेगा। सुबह के समय अमृतसर, जालंधर, चंडीगढ़ समेत कई तराई वाले शहरों में कोहरा अधिक होने के कारण दृश्यता शून्य तक भी पहुँच सकती है।
पंजाब के किसानों के लिए फसल सलाह
वर्षा के अनुमान को देखते हुए सुझाव है कि सिंचाई और छिड़काव की प्रक्रियाओं को अभी स्थगित किया जा सकता है। मौसम साफ हो जाने पर खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई व छिड़काव करें। मौसम अनुकूल हो जाने पर तोरिया की पक चुकी फसल की तुरंत कटाई करें। पतझड़ी फलों के पौधो में सड़ी हुई फार्म यार्ड खाद देने के लिए अभी समय उचित है। इस समय आड़ू, नाशपाती, प्लम व अंगूर के बाग लगाने के लिए खेत को तैयार करें। मौसम में हो रहे बदलावों के कारण फसलों में कीटों और रोगों का प्रकोप बढ़ सकता है, इसलिए फसलों की सतत निगरानी करते रहें व उत्पत्ति होने पर उचित उपचार करें।
गेहूँ की फसल में ज़िंक की कमी से होने वाली क्षति से फसल को बचाने हेतु खड़ी फसल में 1 कि.ग्रा. ज़िंक सल्फेट (0.5%) और 1/2 कि.ग्रा. बुझे हुए चूने को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव हर 15 दिन के अंतराल पर 2-3 बार करें। गेहूँ की फसल में चूहों के कारण होने वाली क्षति को रोकने हेतु 20 ग्राम ब्रोमोडीलोन या 25 ग्राम ज़िंक फॉसफाइड को 20 ग्राम रिफ़ाइंड तेल, 20 ग्राम कुटी चीनी तथा 1 कि.ग्रा. अन्न के साथ मिलाकर मिश्रण बनायें और कागज़ में लपेट कर खेत में थोड़ी थोड़ी दूरी पर रख दें।
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