आइए जानते हैं इस सप्ताह यानि 7 से 13 सितंबर, 2020 के बीच कैसा रहेगा महाराष्ट्र में मौसम का हाल और महाराष्ट्र के किसानों के लिए क्या है इस सप्ताह फसलों से जुड़ी सलाह।
महाराष्ट्र में इस साल के मॉनसून सीज़न में व्यापक वर्षा दर्ज की गई है। मध्य महाराष्ट्र में 1 जून से अब तक सामान्य से 30% अधिक, कोंकण गोवा में 24% ज़्यादा और मराठवाड़ा में 16% अधिक वर्षा हुई है। हालांकि विदर्भ में अभी भी बारिश में 12% की कमी है।
इस सप्ताह मध्य महाराष्ट्र और कोंकण गोवा के दक्षिणी भागों में काफी अच्छी वर्षा होगी। मराठवाड़ा में भी बारिश की गतिविधियां जारी रहेंगी।
विदर्भ में इस सप्ताह भी कम से कम वर्षा के आसार हैं। मुंबई, ठाणे और पालघर समेत उत्तरी कोंकण और उत्तरी मध्य महाराष्ट्र में 10-11 सितंबर से मॉनसून वर्षा की गतिविधियां शुरू हो सकती हैं।
महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:
कोंकण, विदर्भ तथा मध्य महाराष्ट्र के किसानो को सुझाव है कि धान की फसल में कल्ले निकलने की अवस्था से लेकर पुष्पन की अवस्था तक खेत में 7-10 से.मी. गहरा पानी बनाए रखें।
धान की फसल में यदि तना छेदक कीट का प्रकोप हो तो एसफेट 75% डबल्यू.पी. 2 ग्राम या क्विनॉलफॉस 3.2 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर दें। फॉल आर्मी वर्म के नियंत्रण के लिए डाइक्लोरवोस 76 ई.सी. 1.2 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर दें। ब्राउन प्लांट के नियंत्रण के लिए फिर्प्रोनिल 5% एस.सी. 1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर साफ मौसम में छिड़काव करें।
विदर्भ, मराठवाडा और मध्य महाराष्ट्र में मौसम अनुकूल होने पर फसलों में आवश्यकतानुसार उर्वरको का छिड़काव करें। कपास, मूँगफली, तूर और सोयाबीन में निराई-गुड़ाई करें। कपास में यदि चूसक कीट का प्रकोप हो तो फिप्रोनिल 5% एस.सी. का छिड़कव 3 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से करें।
अधिक वर्षा के कारण सोयबीन की पत्तियाँ पीली पड़ रही हों तो प्रोपिकोनाजोल 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़कें। सोयबीन की फसल में पत्ती काटने वाली टिड्डी या सेमीलूपर कीट का प्रकोप पाया जा रहा हो तो 5 बर्ड पर्च प्रति एकड़ लगाएँ।
मूंग तथा उड़द की फसल की कटाई की जा सकती है, कटाई करने के बाद उत्पाद को भली-भांति सुखाकर सुरक्षित स्थानों पर रखें। मिर्ची, टमाटर, कद्दू-वर्गीय फसलों में यदि एन्थ्रेक्नोज रोग के लक्षण पाये जा रहे हो तो मौसम अनुकूल रहने पर हेकजाकोनाजोल छिड़काव 1 मि.ली. प्रति लीटर की दर से घोल बना कर करें।
Image credit: Maharashtra Today
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