आइए जानते हैं 28 सितंबर से 4 अक्टूबर के बीच कैसा रहेगा मौसम।
महाराष्ट्र के आसपास अब कोई भी मौसमी सिस्टम नहीं है जिससे इस सप्ताह महाराष्ट्र में वर्षा की गतिविधियां बहुत कम होंगी।
अब बारिश भले नहीं होगी लेकिन इस साल के मॉनसून सीजन में महाराष्ट्र में ज़बरदस्त बारिश दर्ज की गई। मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र तथा कोकण गोवा में सामान्य से अधिक वर्षा प्राप्त हुई है। हालांकि विदर्भ में कुछ कमी रह गई है।
इस सप्ताह 28 और 29 सितंबर को विदर्भ तथा मराठवाड़ा में हल्की बारिश हो सकती है। अक्टूबर की शुरुआत से विदर्भ में मौसम लगभग साफ हो जाएगा तथा मराठवाड़ा में भी बारिश की गतिविधियां काफी कम हो जाएंगी।
मध्य महाराष्ट्र के दक्षिणी जिलों तथा कोकण और गोवा के दक्षिणी जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा जारी रह सकती है। हालांकि मध्य महाराष्ट्र तथा कोंकण गोवा के उत्तरी जिलों में बारिश काफी कम रहेगी। उसके आसपास भी हल्की बारिश की संभावना बनी रहेगी परंतु भारी वर्षा के आसार नहीं हैं।
अब मॉनसून पश्चिमी राजस्थान से विदा होने वाला है परंतु महाराष्ट्र से मॉनसून की विदाई अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में ही संभव है।
महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:
धान की फसल मुख्यतः दाने भरने से पकने की अवस्था में है, ऐसे में फसल में 2-3 से.मी. गहरा पानी बनाए रखें। चूंकि आने वाले दिनों में आँधी के साथ वर्षा होने के अनुमान हैं, इसलिए किसानों को सुझाव है कि अत्यधिक पानी के निकासी की उचित व्यवस्था करें। फलों के बागों से पानी के निकासी के उचित उपाय करें।
धान की फसल में इस समय ब्राउन प्लांट होप्पर कीट का प्रकोप पाया जा सकता है, इसलिए फसल का नियमित निरक्षण करते रहें और उत्तपत्ति होने पर उचित उपाय करें।
विदर्भ, मराठवाडा व मध्य महाराष्ट्र में मध्य व देर से बोई गई धान की फसल में नाइट्रोजन की शेष खुराक दें। सोयाबीन की फसल पकाव पर है, तुअर की फसल पुष्पन की अवस्था में तथा मूंगफली की फसल पेग बनने की अवस्था में है। सोयबीन की पक चुकी फसल की शीघ्र कटाई करें। रबी की फसलों जैसे ज्वार, चना, प्याज़ आदि के लिए फसलों की तैयारी करें। टमाटर, बैंगन, कद्दू-वर्गीय व अन्य सब्जियों की फसलों की नर्सरी तैयार करें। कपास की फसल में यदि चूसक कीट का प्रकोप पाया जा रहा हो तो फिप्रोनिल 5% एस.सी. को 3 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। मूँगफली की फसल में टिक्का रोग की निगरानी करते रहें। गन्ने की फसल में यदि रस्ट रोग के लक्षण पाए जा रहे हो तो 0.3% मेंकोंज़ेब को 3 ग्राम प्रति
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