आइए जानते हैं 5 से 11 अक्टूबर के बीच कैसा रहेगा मौसम।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की विदाई महाराष्ट्र से होनी अभी बाकी है। हालांकि मॉनसून सीजन का आधिकारिक तौर पर समापन हो गया है।
इस साल विदर्भ को छोड़कर महाराष्ट्र के बाकी तीनों क्षेत्रों यानि मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और कोंकण गोवा में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई।
मुंबई तथा इसके आसपास के क्षेत्रों समेत कोंकण गोवा और 3 अक्टूबर को भारी बारिश दर्ज की गई। हालांकि पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र में बारिश की गतिविधियां काफी कम हो गई है। लेकिन बारिश फिर से बढ़ने वाली है। ओडिशा पर बना निम्न आगे बढ़ेगा जिसके प्रभाव से विदर्भ के पूर्वी जिलों में हल्की वर्षा की शुरुआत हो सकती है।
दक्षिणी कोंकण और गोवा तथा दक्षिणी मध्य महाराष्ट्र में भी छिटपुट वर्षा की गतिविधियां जारी रह सकती हैं। 8 अक्टूबर तक विदर्भ में कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा तथा एक-दो स्थानों पर मध्यम वर्षा की संभावना बनी हुई है। 9 अक्टूबर को वर्षा की गतिविधियां बढ़ेंगी। 9 और 10 अक्टूबर को मराठवाड़ा सहित मध्य महाराष्ट्र में भी अच्छी वर्षा की उम्मीद है। उस दौरान मराठवाड़ा तथा विदर्भ में एक-दो स्थानों पर वर्षा संभव है।
इस सप्ताह के अंत में महाराष्ट्र में वर्षा की गतिविधियां बढ़ने की संभावना नजर आ रही है।
महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:
किसानों को सुझाव है कि मौसम अनुकूल रहने पर अगेती धान, सोयबीन, मक्का, बाजरा तथा मूँगफली की फसल की कटाई करें। महाराष्ट्र में कपास और तुअर को छोड़कर सभी खरीफ फसलें पकाव से कटाई की अवस्था में हैं।
पकाव व कटाई के दौरान अधिक वर्षा होने के कारण मूंग, उड़द, सोयबीन की फसलों में नुकसान देखा जा रहा है। औरंगाबाद, जालना, बीड़, अहमदनगर, धुले, जलगांव, वाशिम, सांगली तथा सिंधुदुर्ग जैसे जिलों में सबसे अधिक नुकसान हुआ है। कुछ क्षेत्रों में अभी भी जल-जमाव जैसी परिस्थियाँ बनी हुई हैं। किसानों को सुझाव है कि कटी हुई फसलों को सुरक्षित स्थानों पर रखें।
तुअर की फसल में अगर फली छेदक का प्रकोप पाया जा रहा है तो मौसम साफ रहने पर 5% नीम अर्क का छिड़काव करें। रबी फसलों जैसे ज्वार, चना आदि के लिए खेत तैयार करें। सब्जियों की नर्सरी बनाने के लिए अभी समय उचित है। फलो के पौधो की बंधाई करें। रबी प्याज़ की रोपाई करें।
Image Credit: The Better India
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