[Hindi] महाराष्ट्र का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (26 अक्टूबर से 1 नवंबर, 2020), और फसल सलाह

October 26, 2020 3:20 PM | Skymet Weather Team

आइए जानते हैं इस सप्ताह यानि 26 अक्टूबर से 1 नवंबर, 2020 के बीच कैसा रहेगा महाराष्ट्र में मौसम का हाल और महाराष्ट्र के किसानों के लिए क्या है इस सप्ताह फसलों से जुड़ी सलाह।

महाराष्ट्र के लिए इस साल न सिर्फ दक्षिण पश्चिमी मॉनसून अच्छा रहा बल्कि अक्टूबर के महीने में भी महाराष्ट्र में सामान्य से काफी ज़्यादा वर्षा हुई है। कोकण तथा गोवा में  1 से 25 अक्टूबर के बीच सामान्य से 116% अधिक वर्षा हुई है। मध्य महाराष्ट्र में इसी दौरान सामान्य से 125% अधिक तथा मराठवाड़ा में सामान्य से 60% अधिक वर्षा हुई है। केवल विदर्भ ऐसा क्षेत्र है जहां मॉनसून की तरह ही पोस्ट मॉनसून में भी अब तक सामान्य से कम वर्षा प्राप्त हुई है। विदर्भ में सामान्य से 12% कम बारिश हुई है।

मॉनसून अभी भी महाराष्ट्र से विदा नहीं हुआ है। हालांकि आज या कल महाराष्ट्र के उत्तरी भागों से मॉनसून विदा हो जाएगा। मध्य महाराष्ट्र तथा मराठवाड़ा में बारिश की गतिविधियां रुक-रुक कर जारी हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान भी सातारा सोलापुर महाबलेश्वर पुणे माथेरान हर नई तथा रत्नागिरी को हल्की से मध्यम वर्षा मिली है। अगले 24 घंटों के दौरान भी दक्षिणी कोकण तथा गोवा सहित मध्य महाराष्ट्र के दक्षिणी भागों में हल्की से मध्यम वर्षा जारी रहेगी। उसके बाद लगभग पूरा सप्ताह महाराष्ट्र के लिए शुष्क बना रहेगा। दिन और रात के तापमान में अगले सप्ताह के दौरान हल्की गिरावट संभव है।

महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:

महाराष्ट्र इस वर्ष अधिक बारिश के कारण खरीफ फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। अधिकतर क्षेत्रों में सोयबीन, कपास, धान, ज्वार और केले, पपीते तथा सिट्रस फल के बागों को ज़्यादा क्षति पहुंची है। लेकिन सबसे अधिक नुकसान सोयबीन व कपास की फसलों पर देखने को मिल रहा है।

कोंकण व मध्य महाराष्ट्र के कुछ भागों में में हल्की से मध्यम वर्षा की संभावनाएं हैं, ऐसे में किसानों को सुझाव है कि कटी हुई फसलों को सुरक्षित स्थानों पर रखें। पक चुकी फसलों की कटाई साफ मौसम में सम्पन्न करें।

तुअर की फसल में हेलिकोवर्पा लार्वा की रोकथाम हेतु फेरोमोन ट्रेप लगाएँ। कपास में गुलाबी सूँडी की रोकथाम हेतु बर्ड अपरचर तथा फेरोमोन ट्रेप लगाए जा सकते हैं। वपसा स्थिति पर ज्वार, कुसुम तथा चने की बुवाई की जा सकती है, बुवाई से पहले बीजो को ट्राईकोडर्मा से 4-5 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित करें।

खरीफ फसलों की कटाई के बाद मिट्टी का नमूना एकत्र करके परीक्षण करवाएँ तथा तथा रबी फसलों की तैयारी के लिए अनुशंसित मात्रा में ही उर्वरकों का प्रयोग करें। सिंचित अवस्थाओं में सब्जियों की बुवाई करें।

आलू की बिजाई यदि कोल्ड-स्टोरेज में रखे बीज से करनी हो तो 5-7 दिन पहले बाहर निकाल कर सुखाएँ और कवकनाशी से उपचरित कर बिजाई करें।

Image credit: Deccan Herald

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