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[Hindi] महाराष्ट्र का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान और फसल सलाह (23 से 29 नवंबर, 2020)

November 23, 2020 1:10 PM |

आइए जानते हैं 23 से 29 नवंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम।

महाराष्ट्र में 1 अक्टूबर से 22 नवंबर के बीच कई भागों में अच्छी बारिश हुई है। इस दौरान कोकण-गोवा में 83% अधिक, मध्य महाराष्ट्र में 71% अधिक तथा मराठवाड़ा में 21% अधिक वर्षा हुई है। जबकि विदर्भ में मॉनसून 2020 की तरह ही मॉनसून की विदाई के बाद भी बारिश में कमी रही है और यहाँ 26% कम वर्षा दर्ज की गई है।

इस सप्ताह का मौसम पूर्वानुमान

महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों में 25 नवंबर तक मौसम पूरी तरह शुष्क बना रहेगा। इस बीच एक समुद्री तूफान बंगाल की खाड़ी में बनने वाला है जो तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक के साथ-साथ तेलंगाना को प्रभावित करेगा।

इस तूफान के प्रभाव से महाराष्ट्र में भी 25 नवंबर से मौसम में बदलाव होगा। उम्मीद है कि दक्षिणी मध्य महाराष्ट्र सहित मराठवाड़ा के कुछ भागों में तथा विदर्भ के पूर्वी जिलों में 25 नवंबर से बारिश की गतिविधियां शुरू होंगी। 26 नवंबर को भी विदर्भ में हल्की बारिश देखी जा सकती है। उसके बाद पूरे महाराष्ट्र में मौसम एक बार फिर से शुष्क हो जाएगा। 27 नवंबर से विदर्भ सहित मराठवाड़ा तथा मध्य महाराष्ट्र में न्यूनतम तापमान में कुछ गिरावट संभव है।

महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:

कोंकण के किसानों को सलाह है कि धान और बाजरा की कटाई सम्पन्न करें। आम के नए बागों में सिंचाई दें। टमाटर, बैंगन, मिर्ची आदि की फसलों में यदि एफिड का प्रकोप हो तो डाईमेथोएट का छिड़काव 1.5 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी की दर से करें।

करेले, घिया और खीरे जैसी कद्दू-वर्गीय सब्जियों के पौध में यदि झुलसा रोग पाया जा रहा हो तो ट्राईकोडर्मा विरिडी जैविक फफूंदनाशी 5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।

रबी मूँगफली, सरसों, कुलथी, लोबिया, सूरजमुखी तथा तरबूज की बुवाई जारी रखें।

मध्य महाराष्ट्र, विदर्भ तथा मराठवाडा के किसानों को सुझाव है कि धान की कटाई और कपास की चुनाई जारी रखें। गेहूं, मक्का, अरहर और अगेती गन्ने की बुवाई पूरी करें।

मिर्ची की फसल में यदि थ्रिप्स का प्रकोप पाया जा रहा हो तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल. को 0.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़कें। गन्ने की फसल में सिंचाई दें। रबी फलों व सब्जियों की रोपाई करें। अरहर की फसल में फली छेदक का प्रकोप पाया जा रहा हो तो डेल्टामेथरिन 2.8% ई.सी. 1 मिली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर दें।

मृग-बहार सिट्रस के बागो में फल झड़ने की समस्या पायी जा रही हो तो जीए-3 20 एमजी प्रति लीटर पानी में घोलकर दें। अंबिया बहार अनार के पौधों में तना-छेदक, दीमक तथा पत्ती-काटने वाले कीटों से बचाव हेतु 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।

Image Credit: The Economic Times

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