आइए जानते हैं इस सप्ताह यानि 16 नवंबर से 22 नवंबर, 2020 के बीच कैसा रहेगा महाराष्ट्र में मौसम का हाल और महाराष्ट्र के किसानों के लिए क्या है इस सप्ताह फसलों से जुड़ी सलाह।
महाराष्ट्र का मौसम पिछले कई दिनों से पूरी तरह से शुष्क बना हुआ है। इस सप्ताह भी महाराष्ट्र के अधिकांश भागों में बारिश होने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है। हालांकि 20 नवंबर को दक्षिणी मध्य महाराष्ट्र में हल्की बारिश हो सकती है। शेष सभी भागों में मौसम शुष्क ही बना रहेगा।
पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र में न्यूनतम तापमान सामान्य से काफी नीचे चल रहा था। विशेषकर मुंबई तथा उसके आसपास न्यूनतम तापमान सामान्य से 2-3 डिग्री नीचे था। उत्तर-पूर्वी शीतल हवाओं के कारण तापमान में गिरावट हुई थी। परंतु अब हवाओं की दिशा बदल कर दक्षिण पूर्वी हो गई है जिसके प्रभाव से न्यूनतम तापमान में वृद्धि हुई है।
महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:
आगामी दिनों में मुख्यतः शुष्क मौसम के अनुमान को देखते हुए कोंकण के किसानों को सुझाव है कि धान व बाजरा की पक चुकी फसलों की कटाई करें। आम के नए बागों में आवश्यकतानुसार सिंचाई दें। काजू की फसल में अगर तना-छेदक का प्रकोप पाया जा रहा हो तो रोकथाम हेतु प्रोफेनोफॉस 50% ई.सी. 1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर दें। खीरा, घीया, ककड़ी, तुरई तथा करेले जैसी कद्दू-वर्गीय सब्जियों में विल्ट रोग से बचाव हेतु बुआई से पहले बीज को ट्राईकोडर्मा विरिडी (5 ग्राम प्रति लीटर पानी) की दर से तैयार घोल से उपचारित करें।
मध्य महाराष्ट, विदर्भ तथा मराठवाडा के किसानों को सलाह है कि मौसम अनुकूल रहने पर कपास की चुनाई व धान की कटाई जारी रखें। सिंचित अवस्था में गेहूं, रबी ज्वार, चना, मटर, सरसों तथा कुसुम की बुआई संग्रक्षित नमी पर जारी रखें। प्याज़ की फसल में यदि थ्रिप्स का प्रकोप पाया जा रहा हो तो लेम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 5% ई.सी. 0.6 मिली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें। कपास में गुलाबी सूँडी का प्रकोप होने पर डेल्टामेथरिन 2.8% ई.सी. 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी या क्लोरपाइरीफॉस 25% ई.सी. 2.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।
रबी फसलों व सब्जियों, पत्ता-गोभी, फूल-गोभी आदि की नर्सरी बनाने व बुवाई का काम जारी रखें।
अंगूर की फसल में डाऊनी मिलड्यू का प्रकोप पाया जा रहा हो तो मेंकोंज़ेब को 2.5-3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें। बागवानी फसलों में हल्की सिंचाई करें तथा खर-पतवारों की रोकथाम करें।
Image credit: The Economic Times
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