[Hindi] महाराष्ट्र का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान और फसल सलाह (02 से 09 नवंबर, 2020)

November 2, 2020 3:05 PM|

आइए जानते हैं 2 से 9 नवंबर के बीच महाराष्ट्र में कैसा रहेगा मौसम

महाराष्ट्र में इस बार मॉनसून की लंबी यात्रा के बीच 1 अक्टूबर से 1 नवंबर के बीच महाराष्ट्र में काफी अच्छी वर्षा हुई है। इस दौरान कोंकण गोवा में 117% अधिक, मध्य महाराष्ट्र 110% अधिक तथा मराठवाड़ा 45% अधिक बारिश हुई। जबकि विदर्भ में मॉनसून सीज़न की ही तरह सामान्य से 18% कम वर्षा हुई है।

इस सप्ताह महाराष्ट्र के लगभग सभी भागों में मौसम शुष्क रहने की संभावना है। महाराष्ट्र के अधिकांश भागों में उत्तर-पूर्वी दिशा से शुष्क हवाएं चलती रहेंगी और आर्द्रता में कमी आएगी। मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में पिछले 2 दिनों से न्यूनतम तापमान में गिरावट देखी गई है। उत्तर पूर्वी दिशा से चलने वाली हवाओं के कारण रात के तापमान में कुछ और गिरावट होने की संभावना है जिससे महाराष्ट्र के अधिकांश इलाकों में सुबह और रात शीतल तथा आरामदायक बनी रहेगी। दिन में तेज धूप के साथ हल्की गर्मी बनी रहने की संभावना है।

महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:

मुख्यतः शुष्क मौसम के अनुमान के बीच किसानों को सलाह है कि धान और बाजरा की फसलों की कटाई करें व कटी हुई फसलों को सुरक्षित स्थानो पर रखें। फलों और सब्जियों की फसलों में हल्की सिंचाई दें। आम के नए पौधो को एंथ्राक्नोज रोग के प्रकोप से बचाने हेतु 1% बोर्डो मिश्रण 10 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।

मध्य महाराष्ट्र, विदर्भ और मराठवाडा के किसानों को सुझाव है कि मौसम साफ रहने पर धान, सोयबीन, मक्का की कटाई व कपास की चुनाई करें।

ज्वार, चना, मसूर, मटर, सूरजमुखी, कुसुम, अगेती गेहूं आदि की बुवाई उचित नमी रहने पर करें। प्याज़ की नर्सरी लगाने के लिए अभी समय उचित है। विदर्भ में कपास की फसल में गुलाबी सूँडी का प्रकोप अधिक पाया गया है, कोसनों को सलाह है कि इसकी रोकथाम के लिए फेरोमोन ट्रेप लगाएँ तथा 5% एन.एस.के.ई. या एज़ाडिरेक्टिन 1500 पी.पी.एम. को 2.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़कें। 8-10 पक्षी-बैठिका प्रति एकड़ लगाने से भी गुलाबी सूँडी के प्रकोप में कमी आती है।

तुअर में फली-छेदक की रोकथाम हेतु भी फेरोमोन ट्रेप लगाए जा सकते हैं। विदर्भ के पूर्वी क्षेत्रों में अभी प्याज़, टमाटर, बैंगन, पत्ता-गोभी व फूल-गोभी की नर्सरी लगाने तथा पालक, मूली, गाजर आदि की बुवाई करने के लिए समय उचित है। फलों के बागों में हल्की सिंचाई दें और खर-पतवार के नियंत्रण हेतु उचित उपाय करें।

Image Credit: Maharashtra Today

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