[Hindi] महाराष्ट्र का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (29 जून से 5 जुलाई, 2020), और फसल सलाह

June 29, 2020 9:57 AM | Skymet Weather Team

आइए जानते हैं 29 जून से 5 जुलाई के बीच कैसा रहेगा मौसम।

मुंबई सहित महाराष्ट्र के तटीय जिलों में पूरे सप्ताह के दौरान अच्छी बारिश जारी रहने की संभावना है। मुंबई, ठाणे, दहानू तथा रायगढ़ में 3 से 5 जुलाई के बीच वर्षा की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। इस दौरान एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा की भी संभावना है।

मध्य महाराष्ट्र के उत्तरी जिलों में भी अच्छी वर्षा की गतिविधियां जारी रहेंगी, विशेषकर जलगांव, नासिक, मालेगाँव, अहमदनगर और आसपास के जिलों में तेज वर्षा देखने को मिल सकती है। सांगली, सतारा तथा कोल्हापुर समेत मध्य महाराष्ट्र के दक्षिणी जिलों में वर्षा की गतिविधियां अपेक्षाकृत कुछ कम रहेंगी।

विदर्भ तथा मराठवाड़ा में रुक रुक कर बारिश जारी रहेगी। एक-दो स्थानों पर तेज वर्षा के साथ तेज हवाएं भी चलने के आसार हैं।

कुल मिलाकर यह सप्ताह बारिश के लिहाज से महाराष्ट्र के लिए अच्छा गुजरने वाला है। मुंबई को कई दिनों से अच्छी बारिश का इंतजार था वह अब समाप्त हो जाएगा तथा गर्म और उमस भरे मौसम से लोगों को कुछ राहत मिलेगी।

महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:

वर्तमान मौसम कृषि गतिविधियों के लिए उपयुक्त है। कोंकण में धान अभी सीडलिंग से रोपाई की अवस्था में है तथा मूँगफली और बाजरा की फसल अंकुरण की अवस्था में है। किसान 20-22 दिन के धान के बिचड़ो की रोपाई शुरू कर सकते हैं।

मिर्ची और बैंगन की रोपाई भी इस समय की जा सकती है। वासपा स्थिति में मूँगफली और भिंडी की बुआई करें तथा खेतो से अत्यधिक पानी की निकासी के लिए उचित प्रबंध करें।

मध्य महाराष्ट्र में भी इस समय धान की नर्सरी सीडलिंग से रोपाई की अवस्था में है, 20-22 के बिचड़ो की रोपाई करें। मध्य महाराष्ट्र व मराठवाडा के किसानों को सुझाव है कि जिन इलाकों में 75-100 मिलिमीटर तक वर्षा हो चुकी है वहाँ वापसा स्थिति में कपास, सोयाबीन, तुअर, मूँगफली, मूंग और मक्का की बुआई सम्पन्न करें। किसानों के लिए विशेष सलाह है कि कपास, सोयाबीन, तुअर की बुआई में जल्दबाज़ी न करें, तथा अच्छी वर्षा हो जाने पर ही बुआई करें। बुआई की समय आवश्यक उर्वरक सही मात्रा में अवश्य डालें।

कपास में पौधो की छँटाई कर पौधों की दूरी को नियंत्रित करें तथा हल्की सिंचाई दें।

कद्दू वर्गीय फसलों में पौधो को सहारा दें व बंधाई करें। पूर्वी विदर्भ में धान मुकया फसल है, जो अभी बुआई से सीडलिंग की अवस्था में है, किसान बंधु नर्सरी बनाना जारी रखें। विदर्भ में भी पर्याप्त नमी आ जाने पर ही कपास, सोयबीन, तुअर, मूंग तथा उड़द की बुआई करें।

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