[Hindi] महाराष्ट्र का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (22-28 जून, 2020), और फसल सलाह

June 22, 2020 12:09 PM | Skymet Weather Team

आइए जानते हैं 22 जून से 28 जून के बीच कैसा रहेगा मौसम। पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र के विदर्भ तथा मराठवाड़ा सहित उत्तरी मध्य महाराष्ट्र में अच्छी बारिश की गतिविधियां देखी गई है।

22 जून को विदर्भ सहित कोंकण गोवा में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। 23 जून से 26 जून के बीच महाराष्ट्र के अधिकांश भागों में वर्षा की गतिविधियों में कमी रहेगी। भारी बारिश नहीं होगी। हालांकि छिटपुट बारिश की गतिविधियां जारी रहेंगी। इस दौरान महाराष्ट्र के दक्षिणी तटों पर एक दो बार अच्छी बारिश हो सकती है।

27 जून से एक बार फिर बारिश की गतिविधियां बढ़ने की संभावना है उस दौरान विदर्भ तथा मराठवाड़ा सहित महाराष्ट्र के तटीय जिलों में बारिश तेज़ हो सकती है। मुंबई तथा उसके आसपास के इलाकों में मौसम लगभग शुष्क रहेगा हालांकि छिटपुट बारिश कभी-कभी हो सकती है।

महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:

कोंकण के किसानों को सुझाव है जहां पर्याप्त वर्षा हो चुकी है, वहाँ धान की नर्सरी डालने और बाजरे, मूँगफली, सब्जियों की बुआई शुरू करें। हालांकि भारी वर्षा की संभावना वाले क्षेत्रों में नर्सरी का कम अभी रोक दें। आम, काजू, चीकू आदि के पौधे भी इन दिनों लगाए जा सकते हैं। हाल ही में लगाए गए पौधों के बागों और धान की नर्सरी में से अत्यधिक पानी निकाल दें। नए लगाए गए पौधों को सहारा दें।

मध्य महाराष्ट्र के किसानों को सलाह है कि जिन खेतों में उचित नमी बन चुकी है वहाँ धान की नर्सरी लगाना, तूर, मूँगफली, सोयबीन और मक्का आदि की बुवाई शुरू करें। केले की फसल में निराई-गुड़ाई का काम पूरा करें।

अहमदनगर, धुले, नंदुरबार और आसपास के जिलों में जहां भी 75-100 मिमी वर्षा हो चुकी हो वहाँ कपास, सोयबीन, अरहर, मूँगफली, उरद, मूंग आदि की बुवाई शुरू करें। मराठवाडा में भी उचित नमी हो जाने पर सोयबीन, अरहर, कपास, मूँगफली, उरद व मूंग की बुवाई शुरू की जा सकती है।

पूर्वी विदर्भ में भी अगर 75-100 मिमी वर्षा हो चुकी हो तो धान की नर्सरी डालने का काम शुरू करें वहीं पश्चिमी व मध्य विदर्भ के किसानों को सलाह दी जाती है की यदि खेतो में पर्याप्त नमी आ गई हो तो कपास, अरहर, मूंग व उरद बुवाई शुरू करें।

जिन इलाको में सिंचाई की व्यवस्था हो वहाँ मिर्ची, टमाटर, बैंगन की नर्सरी व कद्दू-वर्गीय फसलों की बुवाई जारी रखें।

Image credit: DailyHunts

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