महाराष्ट्र में 11 जून को मॉनसून ने दक्षिण-पश्चिमी भागों से दस्तक दी थी। बाकी हिस्सों में भी मॉनसून अच्छी रफ्तार में आगे बढ़ा है। कोंकण में कई जगहों पर अच्छी वर्षा देखने को मिली है, मराठवाड़ा, मध्य क्षेत्रों और विदर्भ के कुछ इलाकों में भी वर्षा हुई है।
जानते हैं इस सप्ताह (15 जून से 21 जून के बीच) महाराष्ट्र में कैसा रहेगा मौसम। राज्य में मॉनसून का प्रदर्शन कैसा रहने की संभावना है।
मुंबई, पुणे, नाशिक और नागपुर समेत महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों में पिछले कई दिनों से बारिश जारी है। विदर्भ तथा उत्तरी मध्य महाराष्ट्र में काफी अच्छी बारिश देखने को मिली है। 15 और 16 जून को महाराष्ट्र के अधिकांश भागों में अच्छी बारिश जारी रहने की संभावना है।
17 से 19 जून के बीच विदर्भ तथा मराठवाड़ा के साथ-साथ मध्य महाराष्ट्र में बारिश की गतिविधियों में कमी आएगी लेकिन कोंकण और गोवा में 20 जून तक अच्छी बारिश की गतिविधियां जारी रहेंगी।
21 और 22 जून को पूरे महाराष्ट्र में बारिश में कमी आने की संभावना है। लेकिन उस दौरान भी दक्षिणी-मध्य महाराष्ट्र और दक्षिणी कोंकण व गोवा क्षेत्र में मध्यम बारिश जारी रह सकती है।
महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:
कोंकण के किसानों को सुझाव है कि जिन इलाकों में अधिक वर्षा हुई है वहाँ अभी धान, बाजरा और सब्जियों की बुआई को स्थगित करें। धान की नर्सरी से अत्यधिक पानी की निकासी के लिए नालियाँ आदि बनाएँ। आम की तुड़ाई कर सुरक्षित स्थानों पर रखें।
काजू, आम, नारियल और सुपारी के पौधों को लकड़ी की खप्पचियाँ आदि लगाकर सहारा दें, ताकि तेज़ आँधी से बचाव हो सके।
मराठवाडा, विदर्भ, मध्य-महाराष्ट्र में किसानों को सुझाव है कि जुताई, खेतों की तैयारी, मेड़ों की मरम्मत, नालियाँ बनाने जैसे काम शीघ्र ही सम्पन्न करें। 75-100 मिमी वर्षा हो जाने पर या सिंचाई द्वारा इसके बराबर नमी प्राप्त हो जाने पर खरीफ फसलों की बुआई शुरू की जा सकती है। खरीफ फसलों की बिजाई केवल प्रमाणित, रोग-प्रतिरोधी, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों से ही करें। बिजाई से पहले खेतों में फार्म यार्ड खाद का प्रयोग अवश्य करें।
विदर्भ व मराठवाड़ा के जिन इलाकों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो वहाँ टमाटर, मिर्ची, बैंगन की नर्सरी इस समय लगाई जा सकती है तथा कद्दू वर्गीय सब्जियों की बुआई की जा सकती है। मध्य-महाराष्ट्र में इस समय धान की नर्सरी लगाने का काम किया जा सकता है। नींबू-वर्गीय फसलों में अच्छे विकास और वृद्धि के लिए ग्रोथ-रेग्युलेटर का प्रयोग करें।
Image Credit: Daily Hunts
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