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[Hindi] महाराष्ट्र का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (27 जुलाई से 2 अगस्त, 2020), और फसल सलाह

July 27, 2020 12:30 PM |

आइए जानते हैं 27 जुलाई से 2 अगस्त के बीच कैसा रहेगा मौसम।

1 जून से 26 जुलाई के बीच महाराष्ट्र में सामान्य से 10% अधिक वर्षा हुई है। इसमें कोंकण व गोवा में 7%, मध्य महाराष्ट्र को 18% अधिक तथा मराठवाड़ा में 50% अधिक वर्षा दर्ज की गई है। जबकि विदर्भ में बारिश अभी सामान्य से 6% कम है।

पिछले सप्ताह मुंबई समेत महाराष्ट्र के कुछ भागों में भारी वर्षा दर्ज की गई। लेकिन इस सप्ताह 27 से 30 जुलाई तक अधिकांश इलाकों में भारी बारिश की संभावना नहीं। हालांकि इस दौरान छिटपुट बारिश की गतिविधियां जारी रह सकती हैं।

31 जुलाई से मराठवाड़ा तथा विदर्भ में मॉनसून की सक्रियता बढ़ेगी जिससे बारिश भी बढ़ जाएगी। 1 अगस्त से कोंकण गोवा में भी बारिश बढ़ेगी जो 5 अगस्त तक जारी रहेगी। इस दौरान मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में भारी वर्षा की संभावना है। आंतरिक भागों में वर्षा की गतिविधियां मध्यम ही बनी रहेगी।

कह सकते हैं कि 31 जुलाई से महाराष्ट्र के अधिकांश भागों में बारिश की गतिविधियां बढ़ेंगी तथा मौसम सुहावना हो जाएगा।

महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:

धान की फसल इस समय वानस्पतिक से टिल्लेरिंग की अवस्था में है। किसानों को सुझाव है कि 2.5 सेमी गहरा पानी बनाए रखें। कोंकण में किसान बाजरा और कद्दूवर्गीय फसलों की बुवाई सम्पन्न करें। धान की फसल में अगर ब्लास्ट रोग के लक्षण दिखाई दें तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़कें। 

विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में वानस्पतिक वृद्धि की अवस्था वाली कपास, सोयाबीन, तुअर और मूंगफली में निराई-गुड़ाई करें। गैप-फिलिंग भी करें। मिर्ची, टमाटर, बैंगन आदि सबाज़ियों की रोपाई करें।

एक महीने की कपास की फसल में नाइट्रोजन की दूसरी खुराक 50 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से दें। सोयबीन और दलहनी फसलों में भी उर्वरकों की बाकी खुराक इस समय दे सकते हैं।

कपास की फसल में जेसिड और एफिड कीट की नियमित निगरानी करते रहें, यदि प्रकोप दिखाई दे तो तुरंत उपचार करें। प्याज़ की फसल में यदि थ्रिप्स का प्रकोप दिखाई दे तो डाइमेथोएट 30 ई.सी. को 1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर दें। 

अधसाली गन्ने की रोपाई जारी रखें। गन्ने की रोपाई के समय उर्वरकों की अनुशंसित बेसल खुराक दें। किसानों को सलाह है कि नारंगी के बागों में पौधों पर जमीनी स्तर से 1 मीटर ऊपर बोर्डो मिश्रण लगाएँ। बाग में अधिक पानी भर गया हो तो उसे निकालने का प्रबंध करें। केले के बागों से सकर्स को निकालें।

Image credit: Firstpost

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