आइए जानते हैं 20 से 26 जुलाई के बीच कैसा रहेगा मौसम।
महाराष्ट्र में इस साल अब तक मॉनसून का प्रदर्शन काफी अच्छ रहा है। कोंकण गोवा, मध्य महाराष्ट्र तथा मराठवाड़ा में सामान्य से अधिक वर्षा हुई है जबकि विदर्भ में सामान्य से 5% कम बारिश दर्ज की गई है।
इस सप्ताह विदर्भ, मराठवाड़ा और दक्षिणी मध्य महाराष्ट्र में 22 जुलाई तक हल्की से मध्यम बारिश जारी रहने की संभावना है। 23 जुलाई महाराष्ट्र के तटीय भागों को छोड़कर बाकी भागों में बारिश की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। जबकि मुंबई सहित महाराष्ट्र के उत्तरी तटीय भागों में वर्षा में काफी कमी रहेगी तथा मौसम लगभग शुष्क बना रहेगा।
25 जुलाई से भीतरी भागों में यानि विदर्भ से लेकर मध्य महाराष्ट्र तक बारिश कम हो जाएगी जबकि कोंकण गोवा में वर्षा इसी दौरान बढ़ने की संभावना है। मुंबई समेत उत्तरी कोंकण गोवा में 26 जुलाई को अच्छी वर्षा हो सकती है।
महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:
कोंकण, पूर्वी विदर्भ और मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सो में धान की फसल रोपाई से प्रारंभिक वनस्पतिक वृद्धि की अवस्था के बीच में है। धान के खेतों में उचित पानी का स्तर बनाए रखें।
विदर्भ, मराठवाडा और मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में कपास, सोयाबीन, तूर व अन्य खरीफ फसलें अंकुरण से प्रारम्भिक वानस्पतिक अवस्था में हैं। बाकी हिस्सों में भी खरीफ की बुआई शीघ्र सम्पन्न कर लेनी चाहिए। अनाज और दालों की फसलों में अंतर्वर्तीय खेती तथा मेड़ों पर बुआई करना अधिक लाभप्रद होगा। कपास, सोयबीन, तूर सहित दलहानी फसलों और मिर्ची, टमाटर, बैंगन आदि सब्जियों की नर्सरी से घास निकाल दें। कपास, सोयाबीन और दालों की 30 दिन की फसल में उर्वरकों की दूसरी खुराक दें।
वर्तमान मौसम में कपास में एफीड और जेसिड, मक्का में फॉल आर्मी वर्म और सोयाबीन में पत्ती खाने वाले केटरपिलर का प्रकोप इस मौसम में संभावित होता है। इसलिए फसलों पर निगरानी रखें और कीटों का प्रकोप होने पर तुरंत उपचार करें।
प्याज़ की नर्सरी बनाने के लिए समय उचित है। अधसाली गन्ने की बुवाई इस समय की जा सकती है, बुवाई से पहले गन्ने के सेट्स को फफूंदनाशक घोल से उपचारित करें व बुवाई के समय उचित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें। केले, अंगूर, संतरे, आम के बागों में निराई-गुड़ाई करें।
Image Credit: Zee Business
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