आइए जानते हैं 7 से 13 दिसम्बर के बीच कैसा रहेगा मौसम।
महाराष्ट्र में इस समय मौसम शुष्क बना हुआ है। महाराष्ट्र में पिछले लगभग 15-20 दिनों से बारिश की गतिविधियां देखने को नहीं मिली हैं। लेकिन इस सप्ताह महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में वर्षा होने की भी संभावना है। अनुमान है कि 9 दिसम्बर से मौसम बदलेगा और शुरुआत कोंकण गोवा क्षेत्र से होगी।
दक्षिणी कोंकण गोवा और इससे सटे दक्षिणी मध्य महाराष्ट्र में 9 दिसम्बर से 11 दिसम्बर के बीच हल्की से मध्यम वर्षा की गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं जबकि 10 से 13 दिसम्बर के बीच उत्तरी मध्य महाराष्ट्र, उत्तरी कोंकण, मराठवाड़ा और विदर्भ के कुछ इलाकों में हल्की वर्षा होने की संभावना है।
इस सप्ताह महाराष्ट्र के दक्षिणी जिलों में मध्यम तथा ऊंचाई वाले बादल छाए रह सकते हैं जिससे न्यूनतम तापमान सामान्य से ऊपर ही रहेंगे।
महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:
आगामी दिनों में मौसम शुष्क रहने और तापमान में गिरावट होने की संभावना को देखते हुए कोंकण के किसानों को सलाह है कि ग्रीष्म-कालीन मूँगफली तथा धान की नर्सरी लगाने हेतु खेतों को तैयार करें। आम व काजू के नए पौधों को छाया दें तथा अधिक तापमान से फसल को बचाएं, बाँस की खप्पचियों से पौधो को सहारा दें।
कद्दू-वर्गीय सब्जियों में उचित नमी बनाए रखें। मध्य महाराष्ट्र, विदर्भ तथा मराठवाडा के किसानों के लिए सुझाव है कि कपास की चुनाई पूरी करें। अगेती तुअर की पक चुकी फसल तथा अधसाली गन्ने की कटाई इस समय की जा सकती है। असिंचित क्षेत्रों में बोई गई गेहूँ, बाजरा, कुसुम तथा चने की फसलों में हल्की सिंचाई दें। गेहूं व चने की फसल में निराई-गुड़ाई का काम सम्पन्न करें। गेहूँ व सरसों की फसल में नत्रजन उर्वरक की दूसरी खुराक दें।
मौसम में हो रहे बदलावों के कारण फसलों में कीटों और रोगों का प्रकोप पाया जा सकता है, इसलिए फसलों की नियमित निगरानी करते रहें और उत्पत्ति होने पर उचित उपचार करें। कुसुम की फसल में एफिड की रोकथाम हेतु डाईमेथोएट 30% का छिड़काव 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर करें।
बैंगन की फसल में फल-छेदक कीट की रोकथाम हेतु 5% नीम अर्क या साइपरमेथरिन 25% ई.सी. को 0.4 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें। अरहर की फसल में यदि फली छेदक का प्रकोप पाया जा रहा हो तो डेल्टामेथरिन 2.8% ई.सी. 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें। अंगूर तथा अन्य फलों के बागों में हल्की सिंचाई करें। अंगूर की फसल में पुष्पन व फल लगने की अवस्था में विकास-नियन्त्रकों का प्रयोग व पोषक तत्वों का प्रबंधन करें।
Image Credit: News Click
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