आइए जानते हैं 14 से 20 दिसम्बर के बीच कैसा रहेगा मौसम।
महाराष्ट्र में पिछले सप्ताह बेमौसम बरसात देखने को मिली। हालांकि दिसंबर के महीने में बारिश का अनुपात बहुत ही कम रहता है परंतु इस बार अरब सागर पर बने एक निम्न दबाव के क्षेत्र ने मुंबई सहित कोकण गोवा और मध्य महाराष्ट्र के कई शहरों में बारिश दी है। मुंबई, नाशिक और पुणे समेत कुछ शहरों में आज भी बारिश बनी रहेगी जबकि 15 दिसंबर से महाराष्ट्र में मौसम शुष्क हो जाएगा।
1 अक्टूबर से 14 दिसंबर के बीच हुई बारिश के आंकड़ों पर नज़र डालें तो कोकण गोवा में सामान्य से 81% अधिक, मध्य महाराष्ट्र में 66, तथा मराठवाड़ा में 9% अधिक वर्षा हुई है। जबकि विदर्भ में सामान्य से 33% कम वर्षा हुई है। इस समय महाराष्ट्र के अधिकांश जिलों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक बने हुए हैं। 15 या 16 दिसंबर से विदर्भ, मराठवाड़ा तथा उत्तरी मध्य महाराष्ट्र में न्यूनतम तापमान में गिरावट शुरू हो जाएगी तथा पारा सामान्य के आसपास आ जाएगा।
15 दिसम्बर से सप्ताह के आखिर तक मुंबई, रत्नागिरी, ठाणे, पालघर से लेकर, पुणे, सांगली, सतारा, नाशिक, जालना, बीड, वर्धा, हाशिम, अकोला, नागपुर समेत लगभग सभी शहरों में मौसम शुष्क और साफ रहेगा। हालांकि मध्य प्रदेश से सटे उत्तरी और पूर्वी सीमावर्ती जिलों में कुछ बादल ज़रूर आ सकते हैं। लेकिन वर्षा के आसार नहीं हैं।
महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:
कोंकण में ग्रीष्म-कालीन धान की रोपाई के लिए नर्सरी हेतु खेतों को तैयार करें। आम के बागों में इस समय लीप होपर, लीफ कैटरपिलर और छोटी मक्खियों का प्रकोप हो सकता है। इससे बचाव के लिए समय-समय पर डाइमेथोएट 1.2 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करते रहें।
मध्य महाराष्ट्र, मराठवाडा और विदर्भ क्षेत्र में शुष्क मौसम के बीच परिपक्व हो चुकी तूर और अदसाली गन्ने की कटाई का काम कर सकते हैं। ठंडे और शुष्क मौसम को देखते हुए रबी फसलों के अलावा फल वाली सब्जियों में निराई-गुड़ाई का काम करें।
गेहूं, ज्वार, सूर्यमुखी और चने की फसल में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें। अरहर में अगर फली छेदक कीट का प्रकोप दिखाई दे तो डेल्टामेथ्रीन 2.8% ईसी 1 मिली प्रति लिटर पानी की दर से छिड़काव करें। चने में तना छेदक कीट पर नज़र बनाए रखें।
टमाटर की फसल ब्लाइट रोग को रोकने के लिए मेंकोंज़ेब 25 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर डालें। अंगूर के फल अब लगने लगे हैं। इस समय हल्की सिंचाई समेत उचित पोषण प्रबंधन सुनिश्चित करें ताकि फल अच्छे से विकसित हों।
आम, चीकू, काजू, नारियल और सुपारी आदि में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। केले की फसल में माहू के नियंत्र हेतु डायमेथोएट 2 मिली प्रति लीटर पानी की दर से दें।
Image Credit: The Economic Times
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