आइए जानते हैं 31 अगस्त से 6 सितंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम।
मॉनसून के पहले 3 महीने महाराष्ट्र के लिए काफी अच्छे रहे हैं। कोकण और गोवा, मध्य महाराष्ट्र तथा मराठवाड़ा में सामान्य से अधिक वर्षा हुई है। कुछ दिनों पहले तक बारिश के मामले में पिछड़ रहे विदर्भ में भी अब बारिश सामान्य के काफी करीब पहुँच गई है।
इस सप्ताह भी महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में बारिश के आसर हैं। 2-3 सितंबर से विदर्भ, मध्य महाराष्ट्र तथा मराठवाड़ा में हल्की वर्षा की गतिविधियां एक बार फिर शुरू होंगी। बारिश का यह सिलसिला सप्ताह के अंत तक जारी रहेगा। बारिश की तीव्रता मुख्यतः हल्की से मध्यम ही रहेगी।
इस सप्ताह मुंबई समेत किसी भी शहर में भारी से अति भारी वर्षा की संभावना बहुत कम है। कह सकते हैं कि सामान्य मॉनसून वर्षा के चलते मौसम सहज रहेगा और बाढ़ जैसी विपरीत परिस्थितियों का सामान्य राज्य के लोगों को नहीं करना पड़ेगा।
महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:
कोंकण, मध्य महाराष्ट्र तथा विदर्भ में धान की फसल पुष्पन की अवस्था में है यह पहुँचने वाली है। ऐसे में खेतों में पनि अनुकूल स्तर तक बनाए रखें। नाइट्रोजन की शेष खुराक इस समय दे सकते हैं। धान की फसल में यदि ब्लास्ट रोग के लक्षण दिखाई दें तो मेनकोज़ेब 75%, 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़कें। बैक्टीरियल ब्लाइट का प्रकोप हो तो कॉपर हाइड्रोक्साइड 53.8% डी.एफ़. 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
विदर्भ, मराठवाडा और मध्य महाराष्ट्र में कपास की फसल में पुष्पन की अवस्था में 2% यूरिया (20 ग्राम यूरिया प्रति 1 लीटर पानी में) तथा बॉल बनने की प्रारम्भिक अवस्था वाले खेतों में 2% डी.ए.पी. का छिड़काव करें। कपास की फसल में गुलाबी सूँडी की रोकथाम के लिए क्लोरपाइरिफॉस 20% ई.सी. को 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़कें। कपास की फसल में यदि चूसक कीट का प्रकोप हो तो 5% नीमार्क का छिड़काव साफ दिनों में करें।
सोयबीन में अगर पत्ती-काटने वाले कीटों का प्रकोप हो तो 5 लाइट ट्रेप या फेरोमोन ट्रेप लगाएँ। विभिन्न प्रकार के केटरपिलर तथा अन्य कीटो से छुटकारे के लिए खेतो में 5 से 6 बर्ड अपर्चर प्रति एकड़ लगाएँ।
टमाटर की फसल में फल छेदक का प्रकोप हो तो प्रभावित फलों को इकठ्ठा कर जमीन के नीचे दबा दें। इसके अलावा क्विनॉलफॉस 25% ई.सी. 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं।
मक्के की फसल में तना-छेदक के नियंत्रण के लिए 10% फोरेट-G 10 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर और फॉल आर्मी वर्म के नियंत्रण के लिए एमामेकटिन बेन्ज़ोएट 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
नर्सरी में उगाये जा रहे नए फलों के पौधो तथा पुराने बागो में निराई-गुड़ाई का काम पूरा करें। फलो के बागो में भी यदि जल-जमाव हो तो इसकी निकासी का तुरंत उपाय करें। केले की फसल में सिगाटोका रोग की उत्तपत्ति होने पर कार्बेनडाजिम 50% डबल्यू.पी. 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर साफ मौसम में छिड़कें। अंगूर की फसल को डाउनी-मिलड्यू से बचाने के लिए प्रभावित पत्तियों व आसपास उग रही खर-पतवारों को निकाल दें।
शरीफे की फसल में मीली-बग की रोकथाम के लिए नीम-तेल को 5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। अनार की फसल में यदि ऑइल स्पॉट/बक्टीरियल ब्लाइट का प्रकोप हो तो 0.25 ग्राम स्ट्रेपटोसाइक्लिन और 2.5 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 1 मि.ली. स्टिकर के साथ प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।
Image credit: Free Press Journal
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