आइए जानते हैं 3 अगस्त से 9 अगस्त के बीच कैसा रहेगा मौसम।
1 जून से 2 अगस्त के बीच महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में अब तक 45% ज्यादा वर्षा हो चुकी है। सूखे का अभिशाप झेलने वाले मराठवाड़ा पर इस साल इंद्रदेव मेहरबान हैं, और अच्छी बारिश हो रही है। विदर्भ को 14% कम वर्षा मिली है, जबकि मध्य महाराष्ट्र को सामान्य से 9% अधिक वर्षा प्राप्त हो चुकी है। कोंकण व गोवा क्षेत्र में सामान्य वर्षा हुई है।
यह सप्ताह वर्षा के लिहाज से महाराष्ट्र के लिए अच्छा रहने वाला है। कोंकण तथा गोवा क्षेत्र में 6 अगस्त तक भारी से अति भारी वर्षा होने की संभावना है। मध्य महाराष्ट्र में भी 6 अगस्त तक कई स्थानों पर अच्छी वर्षा होने के आसार हैं। एक निम्न दबाव का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी पर जल्द ही विकसित होगा, जो ओडिशा के तट को पार करते हुए पश्चिम की तरफ बढ़ेगा। इसके प्रभाव से विदर्भ में 5 और 6 अगस्त को भारी वर्षा हो सकती है। मराठवाड़ा में अगले दो-तीन दिनों के दौरान हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है।
6 अगस्त के बाद कोंकण गोवा को छोड़कर महाराष्ट्र के बाकी सभी भागों में वर्षा की गतिविधियों में कमी आने की संभावना है।
महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:
कोंकण में धान की फसल टिलरिंग अवस्था में है ऐसे में फसल को पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है, इसकी भरपाई अच्छी बारिश से होने वाली है। धान के खेतों में 2-5 से.मी. पानी लगाए रखने का प्रबंध करें। बाजरा और मूँगफली की फसल से अत्यधिक तुरंत निकाल दें। मौसम अनुकूल होने पर बाजरा की फसल में नाइट्रोजन की दूसरी खुराक 30 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर की दर से दें।
बादल छाए रहने और अधिक उमस के कारण कद्दूवर्गीय सब्जियों में पाउडरी मिलड्यू की समस्या हो सकती है। इसकी रोकथाम के लिए जाईनेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।
विदर्भ, मराठवाडा और मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी धान की फसल टिलरिंग अवस्था में है। किसानों को सलाह है कि धान की फसल में 2-5 से.मी. गहरा पानी बनाए रखें।
कपास, सोयबीन और सब्जियों की फसलों में निराई गुड़ाई करें व खरपतवार निकालें। मक्के और बाजरा में नाइट्रोजन की दूसरी खुराक 30 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर की दर से दें।
कपास, मूंग, उड़द की फसल में यदि चूसक कीटों का प्रकोप हो तो 5% नीम अर्क घोल का छिड़काव साफ मौसम में करें। सोयबीन में गृडल बीटल की रोकथाम के लिए ट्राईएज़ोफॉस 40 ई.सी. 1.25 मिली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। मूँगफली की फसल में यदि पत्तियों पर धब्बे नज़र आ रहे हो तो मेनकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर करें।
फलों के बागों में भी जल-जमाव न होने दें तथा पानी के निकासी की उचित व्यवस्था करें। आम, संतरा और केले की फसलों में निराई-गुड़ाई कर खरपतवार निकालें।
Image credit: The Economic Times
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