आइए जानते हैं 24 से 30 अगस्त के बीच कैसा रहेगा मौसम।
महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों में मॉनसून का प्रदर्शन अब तक काफी अच्छा रहा है। 1 जून से 24 अगस्त के बीच कोंकण गोवा में सामान्य से 27% अधिक वर्षा हुई है, मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में 33% अधिक वर्षा हुई है। केवल विदर्भ पीछे है, जहां 5% की कमी रही है।
अगले दो-तीन दिनों के दौरान महाराष्ट्र में वर्षा की गतिविधियां काफी कम रहेंगी। हालांकि दक्षिणी कोंकण गोवा में अच्छी वर्षा जारी रह सकती है। जबकि मुंबई और इसके आसपास वर्षा की गतिविधियों में व्यापक कमी आ जाएगी।
इस बीच बंगाल की खाड़ी पर एक नया निम्न दबाव का क्षेत्र बन गया है, जिसके प्रभाव से विदर्भ में 26 से 28 अगस्त के बीच अच्छी बारिश हो सकती है। मुंबई सहित कोंकण गोवा में भी 27 तारीख से बारिश की गतिविधियां बढ़ेंगी तथा सप्ताह के अंत तक अच्छी बारिश जारी रह सकती है। मराठवाड़ा तथा मध्य महाराष्ट्र में वर्षा की गतिविधियां अपेक्षाकृत काफी कम रहेंगी। इन भागों में इस सप्ताह भी छिटपुट वर्षा की ही उम्मीद है।
महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:
कोंकण, मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ में धान की फसल टिलरिंग की अवस्था में हैं। किसानों को सुझाव है कि धान के खेतों में 5 से.मी. गहरा पानी बनाए रखें। इससे अधिक पानी हो तो निकाल दें।
धान में ब्लू-बीटल के नियंत्रण के लिए क्विनॉलफॉस 25% ई.सी. 2 मिली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। विदर्भ, मराठवाडा और मध्य महाराष्ट्र में किसानों को सलाह है कि कपास, सोयबीन, मूँगफली तथा दलहन फसलों में निराई-गुड़ाई व अन्य सामान्य गतिवधियाँ जारी रखें।
कपास की फसल में गुलाबी सूँडी की नियमित निगरानी करते रहें तथा प्रभावित पौधो को तुरंत नष्ट करें। इसकी रोकथाम हेतु 5 फेरोमोन ट्रेप प्रति एकड़ लगाएँ। कपास की फसल में यदि एन्थ्रेक्नोज रोग के लक्षण पाये जा रहे हों तो मौसम अनुकूल रहने पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव 2.5 ग्राम प्रति लीटर की दर से घोल बना कर करें।
कपास, मूंग, उड़द में चूसक कीटों का प्रकोप हो तो 5% नीमर्क घोल का छिड़काव साफ मौसम में करें। सोयबीन की फसल में पत्ती काटने वाली टिड्डी या सेमीलूपर कीट का प्रकोप पाया जा रहा हो तो 5 फेरोमोन ट्रेप या 5 लाइट ट्रेप प्रति हेक्टर लगाएँ।
टमाटर, मिर्ची तथा कद्दू-वर्गीय सब्जियों में अगर पाउडरी मिलड्यू का प्रकोप पाया जा रहा हो तो डबल्यू.पी. सल्फर 80% का छिड़काव मौसम साफ रहने पर 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से करें।
मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में अधसाली गन्ने की बुआई शीघ्र पूरी करें। मक्के की फसल में फॉल आर्मी वर्म से बचाव हेतु उचित उपाय करें। बादल छाए रहने और अत्यधिक आर्द्रता के कारण केले की फसल में सिगाटोका रोग तथा अंगूर में डाउनी मिलड्यू का प्रकोप भी बढ़ सकता है, इसकी रोकथाम के लिए लक्षण दिखने पर तुरंत उचित कवक-नाशी का प्रयोग करें।
फलों के बागों में अधिक पानी लगा हो तो उसे निकालने का प्रबंध करें।
Image Credit: Jagran Josh
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