आइए जानते हैं 3 अगस्त से 9 अगस्त के बीच कैसा रहेगा मौसम।
इस मॉनसून सीजन में महाराष्ट्र के अधिकांश इलाकों में अच्छी बारिश देखने को मिली हैं। कोकण तथा गोवा, मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा को सामान्य से अधिक वर्षा हुई है। जबकि विदर्भ में सामान्य से 17% कम वर्षा हुई है।
इस सप्ताह मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र के ज़्यादातर हिस्सों में बहुत अच्छी बारिश की संभावना नहीं है। इन भागों में वर्षा की गतिविधियां काफी कम रहेगी। हालांकि रुक-रुक कर हल्की बारिश कुछ इलाकों में होती रहेगी। उत्तरी मराठवाड़ा और उत्तरी मध्य महाराष्ट्र के जिलों में एक-दो बारी भारी बारिश भी हो सकती है।
मुंबई सहित कोकण गोवा में पूरे सप्ताह मध्यम से भारी बारिश जारी रहने की संभावना है। इसी तरह से विदर्भ के सभी जिलों अकोला, अमरावती, भंडारा, बुलढाणा, चंद्रपुर, गढ़चिरोली, गोंदिया, नागपुर, वर्धा, वाशिम, यवतमाल में भी अच्छी बारिश देखने को मिल सकती है। इन भागों में अधिकांश दिन बारिश वाले होंगे।
16 अगस्त से महाराष्ट्र के कई भागों में बारिश की गतिविधियां एक बार फिर बढ़ सकती हैं। और उम्मीद कर सकते हैं कि मराठवाड़ा के जिलों औरंगाबाद, बीड, हिंगोली, जालना, परभनी, लातूर, उस्मानाबाद, नांदेड़ में भी बारिश बढ़ेगी। साथ ही मध्य महाराष्ट्र में नाशिक से लेकर पुणे, सांगली, सतारा समेत कई जिलों में वर्षा 16 अगस्त से वर्षा बढ़ने की संभावना है।
महाराष्ट्र के किसानों के लिए फसल सलाह:
कोंकण और मध्य महाराष्ट्र में धान की फसल में 2-5 से.मी. गहरा पानी ही रखें। उससे अधिक पानी निकाल दें। अन्य खड़ी फसलों, बगीचों, सब्जियों की फसलों आदि में भी पानी ना लगने दें। फलों और सब्जियों की फसल को बारिश के साथ तेज़ आँधी से नुकसान होता है। इससे बचाव के लिए सहारा सपोर्ट लगाएँ। मध्य महाराष्ट्र में भारी बारिश संभावित है इसलिए निराई, गुड़ाई, उर्वरको के छिड़काव जैसी गतिविधियां स्थगित करें।
विदर्भ और मराठवाडा में भी धान की फसल में 2-5 से.मी. गहरा पानी ही रखें और अत्यधिक पानी के निकासी की व्यवस्था करें। मौसम अनुकूल होने पर कपास, सोयबीन तथा सब्जियों की फसलों में निराई, गुड़ाई करें व यूरिया की शेष मात्रा दें।
कपास के खेतो में फेरोमोन ट्रेप लगाएँ ताकि गुलाबी वर्म का नियंत्रण हो सके । कपास, मूंग, उड़द की फसल में यदि चूसक कीटो का प्रकोप हो तो 5% नीमर्क घोल का छिड़काव साफ मौसम में करें। मूंग व उड़द में अगर पाउडरी मिलड्यू का प्रकोप पाया जा रहा है तो इसके नियंत्रण के लिए वेटएबल सल्फर 3 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।
मूँगफली की फसल में यदि टिक्का रोग के लक्षण दिखाई दें तो मेंकोजेब को 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें। आम, केले और संतरे के बागो में निराई-गुड़ाई का काम अभी स्थगित करें।
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