आइए जानते हैं मध्य प्रदेश में कैसा रहेगा 4 से 10 सितंबर के बीच मौसम। और क्या है मध्य प्रदेश के किसानों के लिए हमारे पास खेती से जुड़ी सलाह।
मध्य प्रदेश पर अगस्त में व्यापक वर्षा देखने को मिली थी। सितंबर भी सूखा नहीं रहने वाला।
सप्ताह की शुरुआत में यानि 4 सितंबर को पूर्वी और उत्तर-पूर्वी जिलों में बारिश की संभावना है। उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश में भी 5 सितंबर से बारिश की गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। 6 से 10 सितंबर के बीच मध्य प्रदेश के अधिकांश इलाकों में बारिश होने के आसार हैं। हालांकि अधिक प्रभावित होंगे पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी ज़िले।
उम्मीद है कि इस सप्ताह 6 से 9 सितंबर के बीच पूर्वी मध्य प्रदेश में रीवा, सतना, पन्ना, छतरपुर, खजुराहो, सिंगरौली, सीधी, शहडोल, जबलपुर, नरसिंहपुर, उमरिया, मंडला, बालाघाट, डिंडोरी, छिंदवाड़ा में मध्यम से तेज़ बारिश देखने को मिलेगी। इसके अलावा भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद समेत मध्य जिलों में भी बारिश होने की संभावना है।
दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश में बेतुल, हरदा, खंडवा, खरगौन, बड़वानी, धार, अलीराजपुर, इंदौर, देवास, झाबुआ, उज्जैन, रतलाम, शाजापुर में मॉनसून पूरे सप्ताह कमजोर रहेगा और अच्छी वर्षा के संकेत फिलहाल नहीं हैं। हालांकि इन भागों में इक्का दुक्का बारिश के झोंकों से इंकार नहीं किया जा सकता है।
दूसरी ओर उत्तर-पश्चिमी भागों में अशोकनगर, गुना, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, दतिया, श्योपुर में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर मध्यम बौछारें गिर सकती हैं।
मध्य प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
हाल ही में हुई भारी वर्षा से न केवल फसलों मे सड़न जैसी क्षतियाँ उत्तपन्न हुई हैं बल्कि कीटों के प्रकोप की भी संभावनाएँ बढ़ गई है, इसलिए किसान बंधुओं को सुझाव है कि जहां पानी का जामाव अभी भी हो वहाँ से पानी के निकासी की व्यवस्था करें तथा रोगों के प्रकोप निगरानी रखें।
फसलों में दीमक का प्रकोप दिखने पर 4-5लीटर क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. को 500-600 लीटर पानी में मिलाकर साफ मौसम में छिड़कें। कीटों के नियंत्रण के लिए प्रकाश प्रपंच का उपयोग भी किया जा सकता है।
सोयबीन की फसल में अंगमारी और फली-झुलसन रोग के प्रकोप के कारण पौधो के तनेऔर फलियों पर लाल से गहरे भूरे रंग के धब्बे बनते हैं, जिनके नियंत्रण के लिए 500ग्रा पायरोक्लोस्ट्रोबीन/ है या थाइयोफ़िनाइट मिथाइल 1 किग्रा 500 ली पानी में मिलाकर छिड़कें।
कपास की पछेती फसल में फलन की अवस्था में प्रथम छिड़काव 1.5% डी.ए.पी.+यूरिया उर्वरक तथा द्वितीय छिड़काव 1.5% डी.ए.पी.+पोटाश का घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल पर करें। पपीते में तना सड़न रोग की रोकथाम हेतु ताम्रयुक्त फफूंदनाशक दवा/बोर्डो मिक्सचर का छिड़काव करें।
अमरूद, नींबू एवं अन्य वृक्षों में गुटी बांधने का काम पूरा करें तथा पिछले माह में बांधी गई गुटी कलमों को मुख्य पौधों से काटकर तैयार क्यारियों में रोपित करें। कद्दू-वर्गीय सब्जियों में 25 कि.ग्रा. यूरिया प्रति हेक्टर डालें। और इन फसलों में लाल कीड़े का प्रकोप दिखने पर उसके नियंत्रण हेतु 5 कि.ग्रा. मेलाथियान पाउडर प्रति हेक्टर का भुरकाव करें।
रबी मौसम में अपने फार्म से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए जल एवं अन्य उपलब्ध संसाधनो के आधार पर फसलों, सब्जियों, चारा, बीज उत्पादन के साथ पशुपालन जैसे अन्य सहयोगी कार्यों का चुनाव कर उचित प्लानिंग करें। जिन खेतो में 20-25% मूंग व उड़द की फलियाँ तथा शीघ्र बोई गई कपास के बॉल पक रहे हों वहाँ तुड़ाई/चुनाई करें। अगेती मटर, आलू, सरसों, चना, फूलगोभी आदि फसलों के लिए आदानो की समुचित व्यवस्था करें।
Image credit: The Hindu Business Line
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