आइए जानते हैं मध्य प्रदेश में कैसा रहेगा 18 से 24 सितंबर के बीच मौसम। और क्या है मध्य प्रदेश के किसानों के लिए हमारे पास खेती से जुड़ी सलाह।
इस मॉनसून सीजन में मध्य प्रदेश में सामान्य वर्षा हुई है। 1 जून से 17 सितंबर के बीच पश्चिमी मध्य प्रदेश को सामान्य से 11% अधिक तथा पूर्वी मध्य प्रदेश को सामान से 4% कम वर्षा मिली है।
पिछले 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश के दक्षिणी जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा हुई है। 19 सितंबर से प्रदेश के दक्षिणी तथा दक्षिण-पश्चिमी जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। 20 सितंबर से पूर्वी जिलों में भी वर्षा की गतिविधियां बढ़ेंगी और 21 सितंबर से 24 सितंबर के बीच मध्य प्रदेश के कई भागों में वर्षा की गतिविधियां बढ़ेंगी। इस दौरान पूर्वी तथा मध्य जिलों में मध्यम वर्षा तथा 1-2 स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना है।
कुल मिलकर इस सप्ताह मध्य प्रदेश के विभिन्न भागों में व्यापक वर्षा होगी। लेकिन वर्षा से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले जिले होंगे सतना, सीधी, पन्ना, उमरिया, दमोह, जबलपुर, सागर, टीकमगढ़ और आसपास के इलाके।
मध्य प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
वर्षा के अनुमान को देखते हुए किसानों को सुझाव है कि छिड़काव अभी न करें। मॉनसून वर्षा समाप्त होने पर असिंचित क्षेत्रों में देशी सरसों की बिजाई सितंबर के अंतिम सप्ताह तथा सिंचित क्षेत्रों में अक्टूबर के पहले पखवाड़े में करना लाभदायक होगा।
देशी सरसों की उन्नतशील किस्में हैं: आर.वी.एम-1 व 2, पूसा मस्टर्ड-30, आर.एच-406, आर.एच-749, एन.आर.सी.डी.आर-2, डी.आर.एम.आई.जे-31, एन.आर.सी.एच.बी-101 व 506, अलबेली-1 आदि। खेत की तैयारी से पहले 5-10 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद को खेत में समान रूप से फैलाकर 3-4 जुताई कर पाटा (लेवेलर) से समतल कर उचित समय पर बिजाई करें।
अधिक वर्षा, जल भराव, अफलन, रोग आदि के कारण जहां पर फसलें खराब हो गई हो या किसी कारण से खरीफ में खेत खाली छूट गए हों वहाँ लहसुन, प्याज़ जैसी फसलें लगाई जा सकती हैं। लहसुन की अच्छी किस्में हैं: यमुना सफ़ेद 4 (जी-323), यमुना सफ़ेद 3 (जी-282), यमुना सफ़ेद 2 (जी-50), एग्री-फाउंड व्हाइट (जी-41) तथा प्याज़ की पूसा माधवी, हीरा-2, फुले समर्थ, भीमा-स्वेता, भीमा-रेड, एन-53, एग्री-फाउंड डार्क रेड आदि अनुशंसित किस्मों में से चुनाव करें।
इस मौसम में धान मे झुलसा तथा बाली सड़न/गर्दन तोड़ रोग हो सकता है, इसकी रोकथाम के लिए मौसम साफ होने पर ट्राईसाइक्लाज़ोल फफूंदनाशक 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी की दर से छिड़कें।
वर्षाधीन परिस्थितियों में रबी की सही समय पर फसलें लगाने हेतु जल संरक्षण के समुचित उपाय अपनाएँ तथा सिंचित दशा में अगेती आलू मटर, फूलगोभी, सरसों, चना आदि फसलों की बुवाई हेतु आदानों की व्यवस्था कर खेत तैयार करें।
Image credit: DNA India
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