आइए जानते हैं मध्य प्रदेश में कैसा रहेगा 15 मई से 21 मई के बीच मौसम। और क्या है मध्य प्रदेश के किसानों के लिए हमारे पास खेती से जुड़ी सलाह।
पिछले कई दिनों से मध्य प्रदेश में हल्की से मध्यम वर्षा की गतिविधियां जारी हैं, अगले 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश के दक्षिणी जिलों में मध्यम वर्षा के आसार हैं। खासतौर पर मंडला, बालाघाट, डिंडोरी, जबलपुर, मंदसौर, देवास, इंदौर, उज्जैन में छिटपुट बारिश हो सकती है जबकि बाकी हिस्सों में 15 मई को भी मौसम शुष्क रहेगा।
अनुमान है कि 16 से 21 मई के दौरान मध्य प्रदेश के लगभग सभी क्षेत्रों में मौसम शुष्क तथा गर्म बना रहने की संभावना है। किसी भी तरह की मौसमी गतिविधियां न होने के कारण मध्य प्रदेश में तापमान बढ़ने लगेंगे तथा कई स्थानों पर लू का प्रकोप दिखाई देने लगेगा। कई स्थानों पर जिनके तापमान 45 डिग्री से भी ऊपर जाने की संभावना है।
खरगौन, मंदसौर सहित कुछ दक्षिणी जिलों में पहले ही पारा 44-45 डिग्री तक पहुँच चुका है। अब राज्य के बाकी तमाम जिलों में तापमान 45 डिग्री के करीब पहुंचेगा जिससे चिलचिलाती गर्मी एक नई चुनौती बन जाएगी। इस समय घर से बाहर बिलकुल ना निकलें और निकलना मजबूरी हो तो पूरे एहतियात के साथ। यानि पानी पीकर निकलें और साथ में भी रखें। पूरे शरीर को ढँक कर रखें।
मध्य प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
बढ़ते हुए तापमान को देखते हुए मूँग, उद्यानकीय, गन्ना और हरे चारे की फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। खरीफ फसलों की बुवाई के लिए खेतो की तैयारी, बीज व अन्य सामाग्री की व्यवस्था कर लें। सघन खेती में मिट्टी की भौतिक, रसायनिक एवं जैविक दशा/स्वस्थ्य सुधार हेतु हरी खाद के रूप में ढेंचा, सनई, लोबिया आदि दलहनी फसलें गर्मी में लगा सकते हैं।
मूंग, उड़द या लोबिया की फली तोड़ने के बाद फसल के अवशेष को मिट्टी में मिलाएँ। इन फसलों को हरी खाद हेतु गन्ने की कतारों के बीच में भी लगाया जा सकता है। खेत की तैयारी के बाद ढेंचा को 60-80 कि.ग्रा. तथा सनई को 50-60 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग कर बिजाई कर पानी लगाएँ। आगामी सिंचाई आवश्यकतानुसार 20-25 दिन में करें।
हल्दी की फसल लगाने हेतु सामान्य मृदा में 25 टन कम्पोस्ट और नत्रजन, फॉसफोरस व पोटाश प्रत्येक की 60 कि.ग्रा./हेक्टर मात्रा प्रकन्द लगाने से पूर्व प्रयोग करें।
मूँग की फसल में इल्लियों का प्रकोप होने पर क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% एस.सी. 100 मि.ली. या स्पाइनोसेड 45% एस.सी. 150 मि.ली. प्रति हेक्टर 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रातः काल या शाम के समय छिड़काव कर सकते हैं। मूँग की फसल में उकठा (रूट-रॉट) रोग का प्रकोप होने पर 1 से 2 ग्राम कार्बेनड़ाजिम प्रति लीटर पानी में घोल-कर प्राभावित स्थानो पर जड़ो के पास प्रयोग करें।
Image credit: The Hindu
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