आइए जानते हैं मध्य प्रदेश में कैसा रहेगा 1 से 7 मई के बीच मौसम। और क्या है मध्य प्रदेश के किसानों के लिए हमारे पास खेती से जुड़ी सलाह।
पिछले कई दिनों से, मध्य प्रदेश के उत्तरी और पूर्वी जिलों में रुक रुक कर बारिश देखने को मिली। दूसरी ओर दक्षिणी और पश्चिमी जिलों में लंबे समय से मौसम शुष्क बना हुआ है, जिसके चलते अधिकतम तापमान 40 डिग्री या उससे रिकॉर्ड किया जा रहा है।
1 और 2 मई को मध्य प्रदेश में बारिश की संभावना काफी कम है। यानि कि शुष्क मौसम तापमान को बढ़ाएगा। दो दिन तेज़ गर्मी के लिए आप रहिए तैयार।
3 मई से 6 मई के बीच मध्य प्रदेश के उत्तरी जिलों में मौसम करवट लेगा। उस दौरान मुरैना, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी तथा टीकमगढ़ में हल्की बारिश की संभावना है। लेकिन दक्षिणी जिलों में मौसम शुष्क और काफी गर्म ही बना रहेगा। सप्ताह के अंत तक हो सकता है दक्षिणी जिलों में कहीं-कहीं लू का प्रकोप भी शुरू हो जाए।
मध्य प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
मौसम के मुख्यतः गरम रहने के अनुमान को देखते हुए किसानों को सलाह है कि रबी फसलों की कटाई, गहाई और भंडारण का काम शीघ्र पूरा करें। खड़ी फसलों में उचित नमी बनाए रखें। पके हुए फलों की तुड़ाई के बाद ग्रेडिंग व पैकिंग कर मंडी ले जाएँ।
फसलों में कीटों और रोगों पर नज़र रखें। मूंग, भिंडी और मिर्ची में फल छेदक व अन्य इल्लियों के नियंत्रण के लिए एजाडिरेक्टिन 1% एक लीटर या इमामेकटिन बेन्ज़ोएट 5% एस.जी. 150 ग्राम तथा टमाटर व बैंगन की फसल में फ्लूवेंडियामाइड 20 डबल्यू.जी. 375 ग्राम या क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. 800-1000 मि.ली. प्रति हेक्टर 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
मूँग, बरबटी, भिंडी एवं कद्दू-वर्गीय सब्जियों में भभूतिया रोग (पाउडरी मिलड्यू) की रोकथाम के लिए डिनोकेप 48% ई.सी. अथवा हेक्ज़ाकोनाजोल 5 एस.सी. फफूंदनाशक को 500 मि.ली. प्रति हेक्टर की दर से 500 लीटर पानी में मिलाकर 10-12 दिन के अंतर से आवश्यकतानुसार 2-3 बार छिड़काव किया जा सकता है।
आम में फुदका (होप्पर) कीट व पाउडरी मिलड्यू फफूंद से बचाव के लिए डाईमेथोएट 2 मि.ली. और सल्फेक्स 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर आवश्यकतानुसार 2-3 छिड़काव 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
केले के पौधों में नीचे से निकालने वाले सकर्स निकालें। देशी बेर की झाड़ियों में पैबंध (कलम) चढ़ाने एवं अन्य किस्मों में अच्छी कलिकायन के लिए ज़मीन की सतह से एक-डेढ़ मीटर की ऊंचाई से कटाई कर अंतः कर्षण क्रिया यंत्रों से गुड़ाई करें।
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