आइए जानते हैं मध्य प्रदेश में कैसा रहेगा 31 जुलाई से 6 अगस्त के बीच मौसम। और क्या है मध्य प्रदेश के किसानों के लिए हमारे पास खेती से जुड़ी सलाह।
1 जून से 30 जुलाई के बीच पश्चिमी मध्य प्रदेश में सामान्य से 5% कम जबकि पूर्वी मध्य प्रदेश में सामान्य से 11% कम वर्षा हुई है। पिछले दो-तीन दिनों दक्षिणी तथा दक्षिण पश्चिमी मध्य प्रदेश में हल्की से मध्यम वर्षा देखने को मिली। परंतु अभी भी अधिकांश जिलों में सूखे का प्रकोप बना हुआ है। यह सप्ताह भी मध्य प्रदेश में बहुत अच्छी नहीं देने वाला है।
मध्य प्रदेश में 31 जुलाई से 1 अगस्त के बीच पूर्वी मध्य प्रदेश में मुख्यतः छिटपुट वर्षा की गतिविधियां ही देखने को मिलेंगी। जबकि पश्चिमी भागों में कई जगहों पर हल्की से मध्यम मॉनसून वर्षा के आसार हैं।
2 अगस्त से राज्य पर मॉनसून की सक्रियता बढ़ सकती है। वर्तमान मौसमी परिदृश्यों को देखते हुए अनुमान है कि मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में 2 से 6 अगस्त के बीच कई जगहों पर हल्की से मध्यम और कुछ स्थानों पर भारी वर्षा होगी। खासतौर पर मध्य जिलों और उत्तरी जिलों में अच्छी बारिश हो सकती है, जहां मॉनसून ने अब तक बहुत निराश किया है। इस बारिश से सूखे की मार झेल रहे प्रदेश को कुछ राहत मिलने के आसार हैं।
मध्य प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
देर से बोई गई सोयाबीन, उड़द, मूंग एवं अरहर की फसलों में खरपतवार और पत्ती खाने वाले कीटों के प्रकोप की संभावना बढ़ गई है। साफ मौसम और उचित नमी में इमाझेथापायर 10 एसएल 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। कीटनाशक क्विनॉलफॉस 25 ईसी डेढ़ लीटर 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
खेतों में अधिक पानी ना लगने दें। ज़्यादा बारिश होने की स्थिति में जल संग्रहण करें, जिससे लंबे समय तक बारिश ना होने की स्थिति में उसका उपयोग कर सकें।
मक्का, ज्वार, तिल, कपास, धान, हरे चारे एवं सब्जियों की फसलों में नत्रजन की शेष मात्रा साफ मौसम में डालें। सूखे की अवधि में यूरिया का उपयोग न करें।
सोयबीन की फसल पीली पड़ती हुई दिखाई दे रही है, जिसका कारण है फसल में आवश्यकता से अधिक नमी या सफ़ेद मक्खी द्वारा फैलने वाला पीला रोग या फिर लौह तत्व की कमी। अतः किसान बंधु समस्यानुसार इसका प्रबंधन करें। लौह तत्व की कमी से अस्थाई तौर से पीली पड़ने वाली सोयबीन समय के साथ-साथ अपने आप स्वतः ही स्वस्थ अवस्था में आ जाएगी।
फल पौधो में मौसम अनुकूल हो जाने पर उम्र अनुसार सिफ़ारिश की गई खाद एवं उर्वरकों की मात्रा का प्रयोग करें।
Image credit: The Hindu Businessline
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