आइए जानते हैं मध्य प्रदेश में कैसा रहेगा 3 से 9 जुलाई जून के बीच मौसम। और क्या है मध्य प्रदेश के किसानों के लिए हमारे पास खेती से जुड़ी सलाह।
मध्य प्रदेश में इस मॉनसून सीज़न में अब तक काफी अच्छी बारिश हुई है। पश्चिमी मध्य प्रदेश में 1 जून से 3 जुलाई तक सामान्य से 70% अधिक तथा पूर्वी मध्य प्रदेश में इसी दौरान सामान्य से 43% अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
मध्य प्रदेश के कई भागों में इस सप्ताह भी अच्छी बारिश होने की संभावना है। बारिश की गतिविधियां मध्य प्रदेश के मध्य तथा पूर्वी जिलों में अधिक रहेंगी जबकि पश्चिमी जिलों में 24 घंटों के बाद वर्षा की गतिविधियों में कुछ कमी आ सकती है।
हालांकि पश्चिमी जिलों में भी हल्की से मध्यम वर्षा की गतिविधियां जारी रहने के आसार हैं। इस सप्ताह के अंत तक मध्य प्रदेश में वर्षा का आंकड़ा और अधिक बढ़ सकता है।
मध्य प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
बारिश के अनुमान को देखते हुए किसानों को सुझाव है कि फसलों में किसी भी प्रकार का छिड़काव अभी न करें। खरीफ दलहनी एवं तिलहनी फसलों की बिजाई कृषक बंधु रेज्ड बेड या रिज फर्रों या ब्रॉड बेड फर्रों पद्धति से करें ताकि कम या अधिक वर्षा की दशा में फसल को कम से कम नुकसान हो।
उड़द की उन्नत एवं रोग-रोधी किस्में हैं:
विश्वास, टी.पी.यू-4, के.यू 96-3, पी.यू-35, बरखा, जवाहर उड़द 86, प्रताप उड़द-1
मूंग की किस्में हैं:
टी.जे.एम-3, पी.के.वी.ए.के.एम-4, एच.यू.एम-1, पूसा 95-31, जे.एम-721, टी.एम-37 तथा मालवीय ज्योति।
हरी खाद हेतु लगाई सनई/ढेंचा की फसल को 45-50 दिन होने पर जुताई कर खेत में मिलाएँ। नए फल पौधो को लगाने के लिए उनके गड्ढो के मानक आकार अनुसार 20-30 कि.ग्रा. गोबर/कम्पोस्ट खाद, 500-750 ग्रा. सिंगल सुपर फॉस्फेट, 100-200 ग्राम म्युरिएट ऑफ पोटाश और गड्ढे की मिट्टी में 50-100 ग्राम/मि.ली. क्लोरपाइरीफॉस दवा मिलाकर ज़मीन की सतह से 15 से.मी. ऊंचाई तक भरें। अच्छी वर्षा हो जाने पर फल पौधो का रोपण करें।
टिड्डी दल के प्रकोप की आशंका को ध्यान मे रखते हुए कृषक बंधु इस पर सतत निगरानी रखें और यदि टिड्डी दल खेतो में उतर गया हो तो तुरंत क्लोरपाइरीफॉस 50 ईसी को 500 मि.ली. प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें।
Image credit: The Hindu
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