आइए जानते हैं मध्य प्रदेश में कैसा रहेगा 7 से 13 अगस्त के बीच मौसम। और क्या है मध्य प्रदेश के किसानों के लिए हमारे पास खेती से जुड़ी सलाह। अब तक मध्य प्रदेश में मॉनसून वर्षा सामान्य से कम हुई है। 1 जून से 7 अगस्त के बीच पश्चिमी मध्य प्रदेश को 9% कम तथा पूर्वी मध्य प्रदेश को 15% कम वर्षा दर्ज की गई है।
इस बीच 6 और 7 अगस्त के बीच मध्य प्रदेश के कई जिलों को अच्छी बारिश हुई। मांडला में 48 मिलीमीटर, टीकमगढ़ में 44 मिलीमीटर, सतना 21, धार 12 सागर और दमोह को 11 मिली वर्षा हुई। मॉनसून की रेखा इस समय मध्य प्रदेश से होकर गुजर रही है। इसके प्रभाव से मध्य प्रदेश के कई जिलों में 7 अगस्त को भी अच्छी बारिश होने की संभावना है। 8 अगस्त से वर्षा की गतिविधियां उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश के भागों में बढ़ जाएंगी। 9 से 11 अगस्त के बीच मध्य प्रदेश के उत्तरी तथा पूर्वी जिलों में काफी अच्छी बारिश हो सकती है।
जबकि 8-9 अगस्त से दक्षिण-पश्चिमी तथा दक्षिणी जिलों पर मॉनसून कमजोर हो जाएगा। हालांकि थोड़े इंतज़ार के बाद ही 12 और 13 अगस्त को एक बार फिर से दक्षिणी जिलों में वर्षा की गतिविधियों में कुछ वृद्धि होने के आसार दिखाई दे रहे हैं।
मध्य प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
मक्का, ज्वार, तिल, कपास, धान, हरे चारे एवं सब्जियों की फसलों में नत्रजन की शेष मात्रा की टॉप ड्रेस्सिंग मौसम के अनुसार ही करें। कपास की फसल में गुलाबी इल्ली का प्रकोप इस समय हो सकता है, इसके नियंत्रण के लिए 3-4 फेरोमोन ट्रेप प्रति हेक्टर खेत में लगाएँ। इल्ली के प्रकोप की प्रारम्भिक अवस्था में ट्राईकोडर्मा परजीवी के अंडे एक लाख/हेक्टर साप्ताहिक अंतराल से 3 बार छोड़ें या एज़ाडिरेक्टिन 0.03% ई.सी. 500 मि.ली. प्रति हेक्टर की दर से छिड़कें।
धान की फसल में चौड़ी संकरी पत्ती वाले और मौथा घासों के नियंत्रण के लिए निराई करें और विषपाइरीबेक सोडियम 10% 200 मि.ली. अथवा पायरेजोसल्फ्यूरॉन इथाइल 70% डबल्यू.डी.जी 30 ग्राम प्रति हेक्टेयर 20-25 दिन की फसल पर छिड़काव करें।
सोयाबीन और अन्य तिलहनी-दलहनी फसलों में विषाणुओं से होने वाले पीला मोजेक रोग से पौधों की नई पत्तियों पर पीले चितकबरे धब्बे बन जाते हैं, जिससे पौधे बौने रह जाते हैं और फलियाँ व दाने कम बनते हैं। इसके प्रबंधन के लिए येलो स्टिकी ट्रेप का प्रयोग करें। संक्रमित पौधो को तुरंत उखाड़कर नष्ट कर दें तथा रोग को फैलाने वाले रस चूसक कीट, सफ़ेद मक्खी, थ्रिप्स, माहु आदि के नियंत्रण के लिए साफ मौसम में 5 मि.ली. नीम का तेल या 1 मि.ली. मिथाइल डेमाटोन 25 ई.सी. प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़कें।
Image credit: Free Press Journal
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