आइए जानते हैं मध्य प्रदेश में कैसा रहेगा 21 से 27 अगस्त के बीच मौसम। और क्या है मध्य प्रदेश के किसानों के लिए हमारे पास खेती से जुड़ी सलाह।
पिछले 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश के पूर्वी तथा दक्षिणी जिलों में काफी अच्छी बारिश देखने को मिली है। नरसिंहपुर में 105 मिलीमीटर, सिवनी 55 मिलीमीटर, होशंगाबाद 49 मिलीमीटर, भोपाल 51 मिलीमीटर, रायसेन 47 मिलीमीटर, उमरिया 42 मिलीमीटर, इंदौर 35,उज्जैन 29 और शाजापुर में 31 मिलीमीटर बारिश हुई।
पश्चिमी जिलों में काफी दिनों के बाद अच्छी बारिश देखने को मिली है। जबकि पूर्वी जिलों में पिछले दो-तीन दिनों से बारिश की गतिविधियां जारी हैं।
गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र पूर्वी मध्य प्रदेश में बना हुआ है जो धीरे-धीरे मध्य तथा पश्चिमी जिलों की तरफ बढ़ेगा। जिससे बारिश की गतिविधियों में वृद्धि होने की संभावना है। 21 और 22 अगस्त को मध्य प्रदेश के पश्चिमी तथा मध्य भागों में भारी वर्षा होने की संभावना है। 23 अगस्त होते-होते वर्षा की गतिविधियां कम हो जाएंगी।
सीधी, सतना, उमरिया, दमोह, जबलपुर, मांडला सहित पूर्वी मध्य प्रदेश में 25 से 27 अगस्त के बीच एक बार फिर से वर्षा की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। लेकिन उस दौरान पश्चिमी जिलों में ज़्यादातर क्षेत्रों में मौसम लगभग शुष्क ही बना रहेगा।
मध्य प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में पानी के निकासी की व्यवस्था करें। नमी के कारण फसलों में रोग और कीट का प्रकोप हो सकता है। प्रभावित पौधों को निकाल कर नष्ट कर दें। कपास में कीटों की रोकथाम के लिए खेत में 2 से 3 फेरोमोन ट्रेप प्रति एकड़ लगाए जा सकते हैं। सोयाबीन में सफ़ेद मक्खी की रोकथाम हेतु खेत में यलो स्टिकी ट्रेप लगाएँ। दवाओं का छिड़काव मौसम साफ होने पर ही करें।
धान में खर-पतवार निकालें और मौसम साफ होने पर नाइट्रोजन की खुराक दें। जो किसान बिजाई के समय फसल अनुशंसानुसार पोषक तत्वों का उपयोग नहीं कर पाए हैं तथा असामान्य वर्षा के कारण फसल कमज़ोर होने से कीट और रोगों का प्रकोप अधिक होने की आशंका है, ऐसी परिस्थितियों में मौसम अनुकूल होने पर उर्वरक एन.पी.के. 19:19:19 के 2% घोल का छिड़काव करें। इस उर्वरक को कीट या फफूंद नाशक के साथ मिलाकर न छिड़कें।
बीज उत्पादन के लिए उगाई जाने वाली फसलों में अवांछित व विजातीय पौधों को निकाल कर अलग करें। खेतों में अधिक नमी रहने के बाद कीट-रोग व चूहों का प्रकोप बढ़ सकता है अतः चूहों के प्रबंधन हेतु बाज़ार में उपलब्ध एंटी-कोआगुलेंट बिस्कुट अथवा ज़िंक फॉसफाइड पाउडर को आटे या ज्वार के बीजों के साथ मिलाकर उनके बिलो के पास रखें।
दलहन, तिलहन, सब्जियों तथा फलदार पौधों में समस्त प्रकार की इल्लियां, रस-चूसक कीट, हरा माहु, बीटल आदि कीटों के नियंत्रण हेतु मौसम साफ होने पर नीम आधारित अज़ेटिरेक्टिन कीटनाशक 5-7 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें तथा उचित जल निकास की विधि अपनाएँ।
सोयाबीन, कपास, मिर्च, टमाटर व नींबू वर्गीय फलों में आल्टरनेरिया/बैक्टीरियल ब्लाइट/झुलसा/ पत्ती धब्बा रोगों के नियंत्रण हेतु कॉपर-ऑक्सीक्लोराइड 2.5 ग्रा और स्ट्रेप्टोसाइक्लीन 200 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर घोलें और 500 से 600 लीटर घोल का प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
Image Credit: Competitive India
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