[Hindi] हरियाणा का साप्ताहिक (30 सितंबर से 6 अक्टूबर, 2020) मौसम पूर्वानुमान और फसल सलाह

September 30, 2020 3:42 PM | Skymet Weather Team

आइए जानते हैं कैसा रहेगा हरियाणा में 30 सितंबर से 6 अक्टूबर के बीच एक सप्ताह के दौरान मौसम का हाल।

हरियाणा में पिछले कई दिनों से मौसम शुष्क बना हुआ है। इस बीच मॉनसून 2020 की 28 सितंबर से पश्चिमी पंजाब तथा पश्चिमी राजस्थान से शुरू हुई थी। 30 सितंबर को यह उत्तर भारत के सभी पर्वतीय क्षेत्रों, पंजाब और हरियाणा के सभी भागों विदा हो गया।

इस बार का मॉनसून हरियाणा के लिए अच्छा नहीं रहा है। हरियाणा के अधिकांश जिलों में औसत से बहुत कम वर्षा दर्ज की गई। मॉनसून सीजन 1 जून से शुरू होता है और 30 सितंबर तक चलता है। इस साल के मॉनसून सीजन में हरियाणा में सामान्य से 14% कम वर्षा प्राप्त हुई है। हरियाणा में मॉनसून सीजन में औसतन 438 मिमी बारिश होती है जबकि इस साल महज़ 376 मिमी बारिश हुई है।

इस सप्ताह का पूर्वानुमान

हरियाणा में इस सप्ताह भी मौसम मुख्यतः साफ और शुष्क बना रहेगा। पिछले कुछ दिनों में हवा की नमी काफी कम बनी हुई है। पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी हवाएँ अब स्थायी रूप से चलने लगेंगी। इन हवाओं के कारण वातावरण में नमी कम हुई है जिससे एक तरफ दिन का तापमान सामान्य से ऊपर चल रहा है जबकि न्यूनतम तापमान गिरावट की ओर है इसके चलते सुबह और शाम का मौसम सुहावना रहेगा। लेकिन दिन में हल्की गर्मी बनी रहेगी।

हरियाणा के किसानों के लिए इस हफ्ते की एड्वाइज़री

मौसम के मुख्यतः साफ रहने के अनुमान को देखते हुए किसानों को सुझाव है कि खड़ी फसलों में उचित नमी बनाए रखें तथा पक चुकी फसलों की कटाई करके सुरक्षित स्थान पर रखें। कीटों और रोगों की रोकथाम के लिए छिड़काव किया जा सकता है।

सरसोंरायातोरिया व तारामीरा की फसलों की बुवाई के लिए मौसम अभी अनुकूल है। इन फसलों कि बुआई के लिए 2 किग्रा बीज प्रति एकड़ पर्याप्त रहता है बुवाई कतारों के बीच 30 सेमी दूरी रखते हुए करें। बारानी क्षेत्रों के लिए राया आरएच-30वरुना (टी-59)आरएच-781 व आरएच 819 बोएँ तथा कतारों के बीच का फासला 45 सेमी रखें।

असिंचित तोरियासरसों व राया में 16 कि ग्रा नाइट्रोजन (35 किग्रा यूरिया) तथा 8 किग्रा फास्फोरस (50 कि ग्रा सिंगल सुपर फॉस्फेट) प्रति एकड़ बुआई से पहले डालें। सरसो में मिट्टी में अधिक नमी और वातावरण में अधिक आर्द्रता के कारण तना गलन रोग होता है इससे बचाव के लिए बुवाई से पहले बीजों को कार्बेन्डाजिम दवा 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से एजोटोबैक्टर टीके के साथ उपचार करें।

कपास में टिंडा गलन (बॉल रौट) रोग देखने को मिल सकता है। इसकी रोकथाम के लिए 800 ग्राम ब्लाइटोक्स/ब्ल्यूकॉपर/कॉपर-ऑक्सीक्लोराइड तथा 6-8 ग्राम स्ट्रेपटोसाइक्लिन या 30-40 ग्राम प्लांटोंमाइसिन का मिश्रित घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़कें और आवश्यकतानुसार 15 दिन बाद दोबारा छिड़कें।  

Image credit: Saying Truth

कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweathercom अवश्य लिखें।

OTHER LATEST STORIES