आइए जानते हैं कैसा रहेगा हरियाणा में 23 सितंबर से 29 सितंबर के बीच एक सप्ताह के दौरान मौसम का हाल।
हरियाणा को साल 2020 के मॉनसून ने निराश किया है और 1 जून से 22 सितंबर के बीच सामान्य से 13% कम वर्षा हुई है। राज्य के 21 जिलों में से 9 ज़िले ऐसे जहां सामान्य से कम वर्षा हुई है।पंचकूला सबसे ज्यादा सूखा प्रभावित रहा है जहां सामान्य से 65% कम वर्षा हुई है। 8 जिलों में सामान्य वर्षा हुई है। सामान्य से अधिक वर्षा महज़ तीन जिलों कैथल, करनाल तथा सिरसा में दर्ज की गई है।
पिछले 15 दिनों से हरियाणा में अधिकांश स्थानों पर मौसम लगभग शुष्क बना हुआ था। पिछले 24 घंटों के दौरान दक्षिणी और पूर्वी जिलों में कहीं-कहीं वर्षा की गतिविधियां देखने को मिली थीं लेकिन इस दौरान भी पश्चिमी जिलों में मौसम शुष्क ही बना रहा।
इस सप्ताह के मौसम की बात करें तो समूचे हरियाणा में आगामी एक सप्ताह से अधिक समय तक मौसम मुख्यतः शुष्क रहने की संभावना है। बारिश इसलिए अपेक्षित है नहीं क्योंकि इस दौरान हरियाणा समेत उत्तर भारत में कोई मौसमी सिस्टम विकसित होता हुआ नज़र नहीं आ रहा है। हालांकि उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ रहे मॉनसून सिस्टम के चलते 23 सितंबर को हरियाणा के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश की गतिविधियां देखने को मिलेंगी। 24 सितंबर से मौसम सभी क्षेत्रों में शुष्क और साफ हो जाएगा।
सितंबर के शेष दिनों में बारिश न होने के चलते बारिश में कमी का अंतर और बढ़ सकता है। साथ ही अगले कुछ दिनों के दौरान तापमान में वृद्धि दर्ज की जाएगी जिसके चलते राज्य के लोगों को तेज़ गर्मी का सामना करना पड़ेगा।
हरियाणा के किसानों के लिए इस हफ्ते की एड्वाइज़री
वर्तमान मौसम को देखते हुए किसानों को सुझाव है कि खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें। अत्यधिक सिंचाई करने से बचें। जून में बोई गयी मक्का की इस माह के अंत में कटाई करें। संकर व विजय क़िस्मों के पौधे फसल पकने पर भी हरे रहते हैं।
मक्के को अंगमारी व अन्य पर्ण रोगों से बचाने के लिए जाइनेब (डाईथेन ज़ेड-78) या मैनकोज़ेब (डाईथेन एम-45) की 600 ग्राम 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 10-15 दिन के अंतर पर पुनः छिड़कें।
गन्ने में गुरदासपुर छेदक कीड़े की रोकथाम के लिए हर सप्ताह गन्ने के ऊपर का सूखा भाग काट कर नष्ट करते जाएँ। अष्टपदी (रेड-माइट) से बचाव के लिए 500 मि.ली. मेटासिस्टोक्स 24 ई.सी. या 600 मि.ली. रोगोर 30 ई.सी. 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें। यदि जड़ भेदक का प्रकोप हो तो क्यूनॉलफॉस 5-जी अगर अगस्त माह के अंत में नहीं डाला है तो अब 8 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से डालें।
कपास में टिंडा गलन (बॉल रौट) रोग देखने को मिल सकता है। इसकी रोकथाम के लिए 800 ग्राम ब्लाइटोक्स या ऑक्सीक्लोराइड तथा 6-8 ग्राम स्ट्रेपटोसाइक्लिन या 30-40 ग्राम प्लांटोंमाइसिन का मिश्रित घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़कें और आवश्यकतानुसार 15 दिन बाद दोबारा छिड़कें।
Image credit: Mapio
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