आइए जानते हैं हरियाणा में 16 से 22 सितंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल और क्या है इस सप्ताह फसलों से जुड़ी सलाह।
हरियाणा में लगभग 1 सप्ताह से मौसम पूरी तरह शुष्क बना हुआ है। 6 और 7 सितंबर के दौरान हरियाणा के कुछ भागों में जल के साथ वर्षा की गतिविधियां देखी गई थी। उस दौरान हिसार, करनाल, सोनीपत, पानीपत सहित हरियाणा के दक्षिणी भागों में अच्छी वर्षा हुई थी। 7 सितंबर के बाद हरियाणा में अधिकांश जगहों के तापमान सामान्य से ऊपर बने हुए हैं तथा मौसम भी गर्म बना हुआ है।
इस समय मॉनसून की अक्षीय रेखा अपनी सामान्य स्थिति से दक्षिण की ओर बनी हुई है। इस पूरे सप्ताह हरियाणा में गर्म तथा शुष्क पश्चिमी तथा उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलती रहने की संभावना है। वर्षा की गतिविधियां होने की संभावना नजर नहीं आ रही। गर्म तथा शुष्क हवाओं के चलते हरियाणा में यह सप्ताह भी गर्म तथा शुष्क बना रहेगा। 18 या 19 सितंबर को हरियाणा में एक-दो स्थानों पर छिटपुट वर्षा की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता परंतु वह वर्षा की गतिविधियां काफी कम समय के लिए तथा हल्की ही होंगी।
1 जून से 15 सितंबर के बीच हरियाणा में सामान्य से 11% कम वर्षा हुई है। सितंबर के बाकी बचे दिनों में भी हरियाणा में कोई अच्छी वर्षा की गतिविधियां होने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है।
हरियाणा के किसानों के लिए इस हफ्ते की एड्वाइज़री
किसानों को सुझाव है कि इस समय धान के खेतों में पर्याप्त नमी बनाए रखें, अन्यथा उपज में कमी आ सकती है। गन्ने की बिजाई के पाँ-छः सप्ताह बाद पत्तियों के मध्य शिरा के पास सफ़ेद-पीली धारियाँ दिखना जस्ते की कमी के लक्षण हैं। इसके लिए 0.5% ज़िंक सल्फेट और 2.5% यूरिया के घोल का छिड़काव 10-14 दिन के अंतर पर करें।
मक्के को अंगमारी और अन्य पर्ण रोगों से बचाव हेतु जाइनेब (डाईथेन ज़ेड-78) या मैनकोज़ेब (डाईथेन एम-45) की 600 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फसल पर छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 10-15 दिन के अंतर पर पुनः छिड़कें।
बाजरा की पछेती फसल में पत्तों पर दाग दिखाई देने पर 0.5% ज़िंक-सल्फेट व 2.5% यूरिया का घोल छिड़कें। 1 एकड़ खेत के लिए 1 कि.ग्रा. ज़िंक-सल्फेट, 5 कि.ग्रा. यूरिया तथा 200 लीटर पानी के घोल का प्रयोग करें। कम से कम दो छिड़काव 10-12 दिन के अंतर पर हमेशा ओस उतरने के बाद करें।
धान में कर्नेल स्मट और शीथ-रॉट रोग फैल रहा है। कर्नेल स्मट का प्रकोप होने पर काले बीजाणु दानों को आधे या पूरे तरीके से घेर लेते हैं, जिससे गुणवत्ता व उपज दोनों पर प्रभाव पड़ता है, इसकी रोकथाम के लिए 200 मिली. टिल्ट 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ बूट की अवस्था में छिड़कें। 10 दिन बाद छिड़काव दोहराएँ। शीथ-रॉट का प्रकोप होने पर भूरे हरे धब्बे बन जाते हैं, पुष्पक बदरंग हो जाते है और मर जाते है, इसकी रोकथाम के लिए 200 ग्राम बाविस्टीन 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़कें।
Image credit: Punjab Khurki
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।