आइए जानते हैं कैसा रहेगा हरियाणा में 27 से 2 जून के बीच एक सप्ताह के दौरान मौसम का हाल।
हरियाणा के दक्षिणी और पश्चिमी जिलों में तापमान सामान्य से काफी अधिक बने हुए हैं। रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, हिसार, सिरसा जैसे दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिमी जिलों में पारा 45-46 डिग्री के करीब रिकॉर्ड किया जा रहा है। यह गर्मी 28 मई तक इसी तरह से जारी रहेगी।
हालांकि 28 मई की शाम या रात से मौसम बदलेगा क्योंकि लंबे समय बाद उत्तर भारत में एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ आ रहा है। इसके कारण उत्तरी हरियाणा में धूल भरी आंधी तथा हल्की बारिश 28 मई को ही शुरू होने की संभावना है।
29 तारीख से 31 तारीख के बीच वर्षा की गतिविधियां बढ़ेंगी और राज्य के अधिकांश जिलों में तेज़ आंधी और बारिश के आसार हैं। 1-2 स्थानों पर ओलावृष्टि भी हो सकती है। 29 मई से दिन तथा रात के तापमान में भारी गिरावट होने की संभावना है। ज़ाहिर है गर्मी से बहुप्रतीक्षित राहत मिलेगी।
हरियाणा में बारिश का यह दौर 2 या 3 जून तक चल सकता है। हालांकि बारिश की सबसे अधिक प्रभाव 31 मई तक ही रहेगा। उसके बाद 1 जून से बारिश कम हो जाएगी बादल भी कम हो जाएंगे और हवा में नमी में भी कमी आएगी। लेकिन 2 जून तक रुक-रुक हल्की बारिश कुछ स्थानों पर देखने को मिलेगी।
हरियाणा के किसानों के लिए इस हफ्ते की एड्वाइज़री....
28-29 मई के दौरान वर्षा के अनुमान को देखते हुए किसानों को सलाह है कि इस दौरान सिंचाई व छिड़काव न करें। कीटनाशको व खरपतवारनाशी का प्रयोग मौसम साफ रहने पर ही करें। खेतों में मेड़ और नालियाँ बनाएँ और खेतों से धतूरा, भांग, पीली-बूटी, पुथ-कंडा जैसे खर-पतवारों नष्ट करें, ताकि सफ़ेद मक्खी के प्रकोप फसलों और खेतों पर न हो।
कद्दू-वर्गीय सब्जियों, भिंडी व मिर्ची की तुड़ाई का काम अभी कर सकते हैं। सब्जियों की तुड़ाई का काम शाम के समय ही करें ताकि सुबह के समय होने वाले पोलीनेशन पर असर न पड़े।
गन्ने की फसल में अगर पाइरिल्ला (अल) का प्रकोप हो और इसे मारने नष्ट करने वाले परजीवी खेत में न हों तो 400 मि.ली. मैलाथियान 50 ईसी को 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ मौसम साफ हो जाने पर छिड़कें।
टमाटर की खड़ी फसल में नाइट्रोजन वाली खाद दो बार दें, पहली पौधरोपण के लगभग 3 सप्ताह बाद व दोबारा पहली मात्रा के एक महीने बाद। हर बार 12.5 कि.ग्रा. नाइट्रोजन (27 कि.ग्रा. यूरिया) प्रति एकड़ की दर से दें।
कपास की बिजाई से पहले खेत के आस-पास उग रहे खर-पतवारों को नष्ट करें व छंट्टियों के ढेरो के नीचे गिरे टिंडो व पत्तों आदि को नष्ट कर दें।
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