हरियाणा में इस सप्ताह यानि 18 से 25 मार्च के बीच अधिकांश हिस्सों में मौसम शुष्क रहेगा। राज्य में दो बार बारिश की संभावना बन रही है। पहली संभावना 20 और 21 मार्च को है। जबकि दूसरी बार बारिश की संभावना 24 मार्च से। आपको बता दें कि 20 मार्च को जो पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर के पास आएगा वह सिस्टम कम प्रभावी होगा जिससे बारिश की अधिक संभावना फिलहाल नहीं है। लेकिन 24 मार्च को आने वाला सिस्टम काफी सक्रिय होगा जिसके चलते हरियाणा के अधिकांश इलाकों में बारिश और ओलावृष्टि की संभावना है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 20 और 21 मार्च को हरियाणा के उत्तरी जिलों खासतौर पर पंचकुला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, अंबाला, कैथल, फ़तेहाबाद और सिरसा में आंशिक बादल छा सकते हैं और गर्जना के साथ एक-दो स्थानों पर बूँदाबाँदी या हल्की वर्षा हो सकती है।
24 मार्च को जो पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर के पास आएगा उसके प्रभाव से मैदानी हिस्सों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी विकसित होगा। यह सिस्टम काफी प्रभावी होंगे जिससे हरियाणा के उत्तर में पंचकुला और यमुनानगर से लेकर दक्षिण में रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, भिवानी, दादरी, रोहतक, गुरुग्राम, फ़रीदाबाद, पलवल, मेवत तथा पूरब में पानीपत और सोनीपत से लेकर पश्चिम में सिरसा, फ़तेहाबाद, हिसार और जींद तक बारिश की उम्मीद है।
इस दौरान जो बारिश शुरू होगी, अनुमान है कि 26 मार्च तक जारी रहेगी। बारिश की गतिविधियां 25 मार्च को अपने चरम पर होंगी। बारिश के साथ कुछ स्थानों पर बादलों की गर्जना होने और ओले गिरने की भी आशंका है।
हरियाणा के किसानों के लिए फसल सलाह
जिन इलाकों में वर्षा और ओलावृष्टि के अनुमान हैं, उन भागों में किसानों को सुझाव है कि तैयार हो चुकी फसलों की तुरंत कटाई करें व काटी गई फसलों को सुरक्षित स्थानों पर संग्रहित करें। इसके साथ ही अन्य कृषि गतिविधियों जैसे खेतों की तैयारी, बुआई, छिड़काव आदि को भी मौसम पूर्वानुमान के अनुसार ही योजनाबद्ध ढंग से करें।
मौसम पूर्णतः साफ हो जाने पर बैसाखी मूंग की बिजाई की जा सकती है। बिजाई के लिए खड़ी फसलों की कटाई के तुरंत बाद खेत में एक सिंचाई करें तथा दो बार खेत की जुताई कर के मूँग की बिजाई मार्च माह तक पूरी कर लें। मूँग की उन्नत किस्मों एम.एच-421, एम.एच-318, सत्या, बसंती आदि में से किसी भी किस्म का बीज चुन सकते हैं। एक एकड़ के लिए 10-12 कि.ग्रा. बीज पर्याप्त होगा। सिंचित क्षेत्रों में पंक्तियों के बीच 20-25 से.मी. का फासला रखें।
पिछली कपास फसल के ठूँठों से हुए फुटाव को नष्ट करें क्योंकि इन पर विभिन्न प्रकार के कीड़े पनपते है। गर्मी के मौसम में मिलीबग भी इन पर शरण लेता है और इसकी संख्या बढ़ती है। पछेती सरसों और राया की फसल में आल्टरनेरिया ब्लाइट व डाऊनी मिलड्यू के उपचार के लिए 600-800 ग्राम डाइथेन या इंडोफिल एम-45 को 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।
Image credit: News Nation
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