
आइए जानते हैं गुजरात में इस सप्ताह यानि 17 से 23 अक्टूबर के बीच कैसा रहेगा मौसम। जानेंगे फसलों से जुड़ी सलाह भी।
इस साल का दक्षिण पश्चिम मॉनसून गुजरात के लिए न सिर्फ बहुत अच्छा रहा बल्कि सम्पूर्ण गुजरात से वापसी में काफी देरी हो रही। हालांकि मॉनसून सीज़न 30 सितंबर को समाप्त हो जाता है। उसके बाद होने वाली बारिश को पोस्ट मॉनसून सीज़न की बारिश के तौर पर माना जाता है। इस पोस्ट मॉनसून सीज़न में यानि 1 अक्टूबर से 16 अक्टूबर के बीच सौराष्ट्र और कच्छ में सामान्य से 55% कम तथा गुजरात के पूर्वी भागों में सामान्य से 94% कम वर्षा हुई है।
हालांकि अब मौसम बदला है और बारिश शुरू हो गई है। पिछले 24 घंटों के दौरान केशोड, महुआ, भुज, नालिया, कांडला, सुरेंद्रनगर, दीसा और सूरत सहित गुजरात के दक्षिणी भागों में हल्की बारिश देखने को मिली है।
इस समय एक गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तरी अरब सागर में बना हुआ है। इसके प्रभाव से गुजरात के कई भागों में हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। 18 और 19 अक्टूबर को वर्षा की गतिविधियों में कुछ वृद्धि हो सकती है। 19 अक्टूबर तक गुजरात के लगभग सभी जिलों में कहीं-कहीं बारिश जारी रह सकती है।
20 अक्टूबर से बारिश की गतिविधियों में कमी आएगी तथा 20 और 21 अक्टूबर को केवल दक्षिणी जिलों में जैसे कि नवसारी, वलसाड, सूरत, भरूच, भावनगर, अमरेली, सोमनाथ तथा जूनागढ़ आदि में हल्की बारिश देखी जा सकती है। 22 अक्टूबर से गुजरात का मौसम पूरी तरह से शुष्क हो जाएगा।
गुजरात के किसानों के लिए फसल सलाह
इस सप्ताह बारिश की संभावनाओं को देखते हुए सुझाव है कि मूँगफली सहित अन्य फसलों की कटाई और मड़ाई का काम मौसम साफ होने तक टाल दें।
मौसम साफ होने पर मूँगफली की कटाई करें और उसके पौधों को धूप व हवा में भली प्रकार तब तक सुखाएँ जब तक फलियों में नमी 8% या उससे कम रह जाए ताकि एफलाटॉक्सिन की उत्पत्ति न हो।
मिर्ची और टमाटर की रोपाई करने के लिए अभी समय उपयुक्त है। रोपाई से पहले 30 मिली. एन.पी.के. बैक्टीरिया को 10 लीटर पानी में में मिलाकर घोल बनाएँ व पौधों की जड़ों को 10 मिनट तक इस घोल में भिगो कर रखें।
मौसम अनुकूल रहने पर आरंडी की 35-40 दिन की फसल में नाइट्रोजन की पहली खुराक 40 कि.ग्रा. (87 कि.ग्रा. यूरिया) प्रति हेक्टर की दर से निराई-गुड़ाई करके दें।
धान की फसल भी अब अधिकांश भागों में परिपक्व हो गई है। लेकिन कटाई-मड़ाई का काम इस सप्ताह के आखिर या उसके बाद ही शुरू करें।
हालांकि देर से बोई गई क़िस्मों में जहां अभी दाने बनने की अवस्था है, वहाँ इस समय फॉल्स-स्मट रोग का प्रकोप देखने को मिल सकता है। इसके निदान हेतु सर्वप्रथम प्रभावित हिस्सों को काट कर नष्ट कर दें तथा साफ फफूंदनाशी का छिड़काव 20 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी की दर से घोलकर प्रभावित हिस्सों के आसपास छिड़कें।
Image credit:Desh Gujarat
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