आइए जानते हैं गुजरात में इस सप्ताह यानि 19 से 25 सितंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम। जानेंगे फसलों से जुड़ी सलाह भी।
साल 2020 का मॉनसून गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ के लिए बहुत अधिक सक्रिय रहा। 1 जून से 19 सितंबर के बीच सौराष्ट्र और कच्छ में सामान्य से 130% अधिक वर्षा हुई है। जबकि गुजरात के पूर्वी भागों में सामान्य से 10% अधिक वर्षा हुई है।
पिछले 2 दिनों से गुजरात में वर्षा की गतिविधियां कम हुई हैं लेकिन मौसम पूरी तरह शुष्क नहीं हुआ है हल्की वर्षा जारी है। अब गुजरात के आसपास कोई भी महत्वपूर्ण मौसमी सिस्टम नहीं है। इसलिए इस सप्ताह गुजरात में बहुत अधिक मॉनसून हलचल की संभावना नहीं है।
हालांकि 19 और 20 सितंबर को पूर्वी गुजरात और सौराष्ट्र के दक्षिणी जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा जारी रहने का अनुमान है। सूरत, वलसाड, अमरेली, भावनगर, नवसारी, जूनागढ़, राजगढ़ आदि ज़िले मुख्यतः प्रभावित होंगे। 21 सितंबर से बारिश में कमी आ जाएगी। हालांकि हल्की वर्षा 21 से 23 सितंबर के बीच भी देखने को मिल सकती है।
कच्छ के अधिकांश जिलों और उत्तर-पूर्वी गुजरात में इस सप्ताह मौसम शुष्क तथा गर्म रहेगा। भुज, नलिया, बनासकांठा, साबरकांठा, मेहसाना, पाटन तथा इदार में वर्षा की संभावना काफी कम है।
गुजरात के किसानों के लिए फसल सलाह
मिट्टी में अधिक नमी के कारण मूँगफली में तना व फली सड़न की समस्या हो सकती है। इसकी रोकथाम के लिए मौसम अनुकूल होने पर टेबूकोनाजोल (फोलिकर) 15 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर तने और जड़ों के पास छिड़काव करें। मूँगफली की फसल में टिक्का रोग के नियंत्रण के लिए प्रोपिकोनाजोल (टिल्ट) फफूंदनाशी को 10 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।
अधिक वर्षा के कारण मिट्टी से नाइट्रोजन की कुछ मात्र पानी के साथ बह जाने के कारण कपास की फसल पीली पड़ सकती है, जिससे उपज प्रभावित हो सकती है। ऐसी परिस्थिति में नाइट्रोजन की तीसरी खुराक 130 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर की दर 90 दिन की फसल में दें।
कपास की फसल में मीलीबग के नियंत्रण हेतु 10 मि.ली. प्रोफेनोफॉस 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 10 ग्राम डिटरजेंट पाउडर मिश्रण में मिलाएँ। मिर्ची को रोपाई अभी की जा सकती है, रोपाई से पहले पौध की जड़ों को 30 मि.ली. एन.पी.के. बेक्टीरिया तथा 10 लीटर पानी के घोल में 10 मिनट तक भिगो कर रखें। आरंडी की फसल को बुआई के 45 दिन बाद तक खर-पतवार से पूर्णतः मुक्त रखें।
धान की फसल को तना छेदक रोग से बचाव के लिए फेरोमोन ट्रेप लगाएँ। प्रभावित पौधों को काट कर अलग करें और पूरी तरह नष्ट कर दें।
Image credit: DNA India
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