आइए जानते हैं गुजरात में इस सप्ताह यानि 1 अगस्त से 7 अगस्त के बीच कैसा रहेगा मौसम। जानेंगे फसलों से जुड़ी सलाह भी।
पिछले कई दिनों से गुजरात में हल्की से मध्यम वर्षा देखने को मिल रही है। मॉनसून का 50% समय बीत चुका है। 1 जून से 31 जुलाई के बीच सौराष्ट्र और कच्छ में सामान्य से 47% अधिक वर्षा हुई है जबकि गुजरात रीजन यानि पूर्वी गुजरात में 42% की कमी रही है।
इस सप्ताह अगले दो दिनों तक गुजरात में हल्की बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर मध्यम बारिश की संभावना है। 3 अगस्त से सूरत, वलसाड, नवसारी सहित गुजरात के दक्षिणी जिलों में वर्षा की गतिविधियां बढ़ेंगी। जबकि गुजरात के अन्य भागों में 5 अगस्त से मॉनसून वर्षा में तेज़ी आने की संभावना है। 5-7 अगस्त के बीच सौराष्ट्र और कच्छ में भी कुछ स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है।
कुल मिलकर कह सकते हैं कि गुजरात में यह सप्ताह बेहतर मॉनसून वर्षा लेकर आ रहा है इससे पूर्वी गुजरात में वर्षा के आंकड़ों में कुछ सुधार होने की संभावना है। इस समय होने वाली अच्छी वर्षा की गतिविधियां आगामी फसलों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होगी।
बिहार के किसानों के लिए फसल सलाह
इस मौसम को देखते हुए किसानों को सलाह है कि फसलों में किसी भी प्रकार का छिड़काव न करें। बढ़ती हुई नमी के कारण फसलों में कीटों और रोगों का प्रकोप बढ़ सकता है। इसलिए फसलों मी नियमित निगरानी करते रहें व मौसम के अनुसार ही उपचार करें।
कपास की फसल को बुवाई बाद 60 दिनों तक बिलकुल खरपतवार मुक्त रखें। 60 दिन की कपास की फसल में यूरिया की दूसरी खुराक 130 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर कि दर से दें। यदि कपास में कीटों का प्रकोप दिखियाई दे तो मौसम अनुकूल होने पर नीम आधारित कीटनाशक या नीम-तेल 50 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। गुलाबी बॉल वर्म की रोकथाम के लिए फेरोमोन ट्रेप लगाए जा सकते हैं।
धान की रोपाई करते समय 1 वर्ग मीटर में 33 पौध ही लगाएँ। धान में खरपतवार की नियंत्रण हेतु रोपाई के 3 से 5 दिन बाद पेंडिमेथालीन 3 लीटर प्रति हेक्टर की दर से साफ मौसम में प्रयोग करें। आरंडी की फसल की बुवाई के लिए जी.सी.एच-7 या जी.सी.एच-8 आदि किस्मों में से बीजों का चुनाव किया जा सकता है। एक हेक्टेयर के लिए 5-6 कि.ग्रा. बीज पर्याप्त होगा।
Image credit: Vishwa Gujarat
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