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[Hindi] बिहार का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (9 मई से 15 मई, 2020) और फसल सलाह

May 9, 2020 11:22 AM |

आइए जानते हैं बिहार में इस सप्ताह यानि 9 से 15 मई के बीच कैसा रहेगा मौसम। जानेंगे फसलों से जुड़ी सलाह भी।

इस बार बिहार में काफी अच्छी प्री-मॉनसून वर्षा की गतिविधियां देखने को मिली हैं। इसी कारण प्री-मॉनसून सीजन में बिहार में बारिश के आंकड़े सामान्य से काफी ऊपर बने हुए हैं। हालांकि पिछले कुछ दिनों से बिहार में बारिश की गतिविधियों में काफी कमी आई है। ज़्यादातर मौसम शुष्क बना हुआ है। लेकिन पूर्वी जिलों में छिटपुट बारिश रुक-रुक कर होती रही है।

अगले 2 दिनों के दौरान बिहार के अधिकांश हिस्सों में मौसम शुष्क तथा गर्म ही बना रहेगा। इस दौरान तापमान बढ़ेगा जबकि 11 और 12 मई को बिहार के कई जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है, जिससे तापमान फिर से नीचे आएगा।

राज्य में बारिश की गतिविधियां 13 से 15 मई के बीच कम हो जाएंगी। लेकिन पूर्वी जिलों में छिटपुट वर्षा उस दौरान भी जारी रह सकती है।

बिहार के किसानों के लिए फसल सलाह

मौसम गरम होने के साथ-साथ कुछ इलाकों में संभावित वर्षा देखते हुए किसानों को सलाह है कि रबी फसलों की कटाई के बाद परती जमीन की डिस्क पलाऊ या दूसरे मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करें। इससे मृदा की संरचना में सुधार, जल धारण की क्षमता में वृद्धि, मिट्टी में पलने वाले हानिकारक कीटों और रोगों के नियंत्रण, खरपतवारों के खात्मे के साथ आगामी फसल के लिए मिट्टी अधिक उपजाऊ हो जाती है। जुताई से मिट्टी की जांच करा लें ताकि आगामी फसल में आवश्यकतानुसार उर्वरकों का प्रयोग किया जा सके।

यदि बारिश के कारण खेत में पानी जमा हो तो उसे तत्काल निकाल दें। लवणीय व क्षारीय मिट्टियों में आगामी खरीफ की अच्छी फसल के लिए जिप्सम या गंधक डालने से पहले खेत की गहरी जुताई एवं समतलीकरण का कार्य अवश्य करें। समतलीकरण कार्य हेतु लेजर लैंड लेवलर सर्वोत्तम टूल है इसके प्रयोग से जल निकास एवं लवणों के निक्षालन में सहूलियत होती है।

खरीफ में धान, मक्का, ज्वार आदि की बेहतर फसल के लिए जैविक खाद/कंपोस्ट आदि मिट्टी में डालकर भली-भांति मिलाएं। धान में नील हरित शैवाल के प्रयोग हेतू खुले जगह में जहां प्रचुर मात्रा में सूर्य का प्रकाश प्राप्त हो, वहाँ इसका उत्पादन करें। यह एक विशेष प्रकार का काई (एल्गी) है जो वायुमंडलीय नेत्रजन का स्थिरीकरण करने की क्षमता रखता है।

गरमा की खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई–गुड़ाई और सिंचाई करें। प्याज खुदाई से 10 दिन पूर्व सिंचाई बंद कर दें इससे कन्द पकते हैं और जल्द सड़ते भी नहीं है।

Image credit: Sandrp

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