आइए जानते हैं बिहार में इस सप्ताह यानि 23 से 29 मई के बीच कैसा रहेगा मौसम। जानेंगे फसलों से जुड़ी सलाह भी।
20 मई को आए समुद्री तूफान अंपन से बिहार भी प्रभावित हुआ था। राज्य के पूर्वी जिलों में मध्यम से भारी बारिश हुई थी। बिहार के बाकी हिस्सों में भी हल्की वर्षा हुई थी। लेकिन 22 मई से समूचे बिहार में मौसम शुष्क हो गया है।
हमारा अनुमान है कि 25 मई तक बिहार में मौसम गर्म तथा शुष्क ही बना रहेगा। उसके बाद मौसम में कुछ बदलाव आएगा। 26 और 27 मई को उत्तर पूर्वी तथा पूर्वी जिलों में प्री-मॉनसून वर्षा शुरू होगी। इन भागों में हल्की वर्षा तथा मेघगर्जना होने की संभावना है।
28 मई से बारिश की गतिविधियां बढ़ेंगी तथा कई जिलों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। 29 मई को बारिश में और अधिक वृद्धि होने की संभावना है।
बिहार के किसानों के लिए फसल सलाह
खाली खेतों की जुताई करें। गहरी भू-परिष्करण क्रियाओं के करने से नमी को सरंक्षण करने, जड़ों के विकास के लिए वातावरण तैयार करने तथा कीट एवम् खरपतवार के रोकथाम करने में मदद मिलती है।
ध्यान रहे कि फसल की सुरक्षा के लिए रासायनिक कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग न करें क्योंकि इन कीटनाशकों की वजह से मिट्टी, जल, वायु सब कुछ विषैला हो जाता है जिसका प्रतिकूल प्रभाव न सिर्फ मानव स्वस्थ्य पर पड़ता है बल्कि अन्य जीव-जंतुओं को भी प्रभावित करता है। इसी कारण सरकार भी अनेक हानिकारक रसायनिक उत्पादों को प्रतिबंधित कर रही है।
गन्ने की फसल में शीर्ष भेदक कीट के नियंत्रण के लिए बुआई के 60 दिनों के बाद अथवा कीट दिखाई देने पर ट्राईकोग्रामा परजीवी का 25 से 30 ट्राइकोविट कार्ड प्रति हेक्टेयर की दर से 10 दिनों का अंतराल पर सायंकाल खेत में प्रयोग करें। इसके उपयोग के पहले, उपयोग के समय या बाद में रासायनिक कीटनाशक आदि का छिड़काव न करें।
गरमा मूंग में यलो मोजैक वाइरस सफेद मक्खी जैसे रस चूसने वाले कीटों के द्वारा फैलता है इसके नियंत्रण के लिए नीम आधारित वानस्पतिक कीटनाशक एजेडीरैक्टिन 0.03 % का 5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर शाम को 15 दिनों के अंतराल पर 2-3 छिड़काव करें।
खरीफ अरबी एवं सुथनी की खेती के लिए जीवांशयुक्त मृदा वाले खेत जिसमें जल निकास की उचित सुविधा हो उसमें 15-20 टन सड़ी गोबर खाद देकर इन दोनों फसलों के लिए 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बीज दर से बुवाई करें।
जहां पानी की अच्छी सुविधा हो वहाँ धान की खेती से पहले हरी खाद के लिए ढैंचा की बुवाई करें। यह मिट्टी में वायुमंडलीय नेत्रजन का स्थिरीकरण करने के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्व भी उपलब्ध कराता है।
मशीन द्वारा धान की बुवाई या रोपाई करने हेतू जमीन का समतलीकरण अवश्य करें। इसके लिए लेजर लैंड-लेवलर बहुत कारगर टूल है।
Image credit: SanDrp
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।