आइए जानते हैं बिहार में इस सप्ताह यानि 16 से 22 मई के बीच कैसा रहेगा मौसम। जानेंगे फसलों से जुड़ी सलाह भी।
पिछले 2 दिनों से बिहार का मौसम शुष्क बना हुआ है। इस सप्ताह भी 16 से 18 मई तक लगभग समूचे बिहार में मौसम गर्म और शुष्क बने रहने की संभावना है। हालांकि 18 और 19 मई को बिहार के तराई क्षेत्रों में छिटपुट वर्षा हो सकती है। बाकी हिस्सों में इस दौरान दिन के तापमान में 2 से 3 डिग्री की वृद्धि हो सकती है।
19 मई से 22 मई के बीच बिहार के पूर्वी जिलों में हल्की बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर मध्यम वर्षा होने की संभावना है। इस दौरान पश्चिमी जिलों में मौसम लगभग पूर्वी तरह से शुष्क ही बना रहेगा। हालांकि छिटपुट बादल छाने की संभावना है।
बिहार के किसानों के लिए फसल सलाह
तापमान में वृद्धि की संभावनाओं को देखते हुए किसानों को सुझाव है कि गरमा मूंग, उड़द एवं सब्जियों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहे। इस बात का ध्यान अवश्य दें सिंचाई अधिक न की जाए क्योंकि उड़द व मूँग में अधिक सिचाई से वानस्पतिक बढ़वार बहुत अधिक हो जाती है जिससे फलन प्रभावित होता है।
वर्तमान में खरीफ मक्का की बुवाई के लिए खेत तैयार कर सकते हैं। इसके लिए खेत की एक-दो गहरी जुताई करके पाटा चला दें जिससे ढेले टूट जाएँ और मिट्टी भुरभुरी हो जाए। सामान्यतः 25 मई से खरीफ मक्का की बुवाई होने लगती है अतः 10-15 दिन पहले खेत में 10 से 15 टन कंपोस्ट/गोबर की सड़ी खाद देकर मिट्टी में मिला दें।
25 मई से रोहण नक्षत्र शुरू होता है, खरीफ धान की लंबी अवधि क़िस्मों एम.टी.यू-7029 और राजेंद्र मंसूरी इत्यादि के बीज इसी नक्षत्र में पौधशाला में गिराए जाते हैं। अतः बेहतर उत्पादन के लिए शुद्ध एवं संपुष्ट धान बीजों की व्यवस्था करें तथा बीज गिराने हेतु कंपोस्ट देकर पौधशाला की तैयारी करना प्रारंभ कर दें।
गरमा लोबिया सहित कद्दू, करैला तथा नेनुआ में फल-मक्खी के नियंत्रण हेतु मेलाथियान 50 ई.सी. का 2 मि.ली. 50 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करें।
लीची में फल पकने के समय पेड़ों के नजदीक नमी बनाए रखें। ईख फसल में इस समय दहिया कीट (मिली-बग) का प्रकोप देखने को मिल सकता है, इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. कीटनाशी का 1 मि.ली. प्रति 3लीटर पानी में घोल तैयार कर स्टीकर मिलाकर खड़ी फसल पर छिड़काव करें। फल वृक्षों का नया बाग लगाने हेतु वृक्ष एवं उसके प्रजाति के अनुसार अनुशंसित दूरी पर गड्ढे खोदकर खुला छोड़ दें।
Image credit: Uday India
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