आइए जानते हैं बिहार में इस सप्ताह यानि 20 जून से 26 जून के बीच कैसा रहेगा मौसम। जानेंगे फसलों से जुड़ी सलाह भी।
इस मॉनसून सीजन में बिहार में अब तक सामान्य से 84% अधिक वर्षा हो चुकी है। पिछले कुछ दिनों से बिहार में मूसलाधार वर्षा हो रही है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। इसी दौरान बिहार में बिजली गिरने से लगभग 113 लोगों की जान जा चुकी है।
राज्य में 27 और 28 जून को तेज वर्षा का दौर जारी रहने की संभावना है। हालांकि बारिश की गतिविधियों में कुछ कमी आ सकती है। 29 जून से बारिश में कमी आ जाएगी हालांकि कई जिलों में मध्यम वर्षा तथा एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा की संभावना बनी रहेगी।
30 जून तथा 1 जुलाई को वर्षा की गतिविधियां काफी कम हो जाएंगी लेकिन 2 और 3 जुलाई को एक बार फिर बारिश बढ़ सकती है जिससे बाढ़ का खतरा एक बार फिर पैदा हो सकता है। कुल मिलकर कह सकते हैं कि बिहार को तेज बारिश से राहत इस सप्ताह तक मिलने की संभावना कम नजर आ रही है।
बिहार के किसानों के लिए फसल सलाह
आगामी दिनों में घने बादल छाए रहने, बिजली चमकने व गरज के साथ मध्यम से भारी वर्षा के संकेत हैं। कृषक बन्धुओं को सलाह है कि 115-125 दिन वाली क़िस्मों के बीजों को नर्सरी में डालना जारी रखें। धान की नर्सरी तथा खरीफ मक्का के खेत में अधिक पानी न लगने दें। जल निकास की व्यवस्था करें।
सीधी बुवाई वाले धान में या नर्सरी में बीज डालने के 10 दिनों के बाद कभी-कभी पत्तियां हल्की पीली या सफेद नजर आती हैं यह लौह जैसे सुक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के लक्षण हैं। इसे आयरन क्लोरोसिस कहते हैं। इसके निदान के लिए फेरस सल्फेट के 1% घोल का छिड़काव करें।
खरीफ लोबिया की खेती हेतु 15 से 20 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। पूसा दो फसली, पूसा कोमल, नरेंद्र लोबिया, पूजा बरसाती आदि उन्नतशील प्रभेदों से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। बुवाई के पहले ट्राइकोडर्मा जैव फफूँदनाशी की 5 ग्राम मात्रा प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से बीज उपचारित करें। पौधौं के अच्छे विकास एवं गुणवत्तापूर्ण उपज के लिए 15-20 टन गोबर की खाद अंतिम जुताई के समय समान रूप से डालें। साथ ही 40 कि.ग्रा. नेत्रजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस तथा 60 कि.ग्रा. पोटाश उर्वरक का भी प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।
मक्का के साथ लोबिया की अंतरवर्ती खेती कर किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। उड़द की खेती के लिए नवीन, टी-9 जैसी रोगरोधी किस्मो का चुनाव करें व 12 से 15 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टर प्रयोग कर बुवाई करें।
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